Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

ऑटो ड्राइवर की बेटी ने पेश की मिसाल, विदेश में पढ़ने के लिए हासिल की स्कॉलरशिप

ऑटो ड्राइवर  की बेटी ने पेश की मिसाल, विदेश में पढ़ने के लिए हासिल की स्कॉलरशिप

Monday August 13, 2018 , 3 min Read

 रुतुजा ल्यूकोडर्मा जैसी बीमारी से लड़ रही थी, वह लोगों के सामने बोलने से भी डरती थी। लेकिन आज उसे थाइलैंड के यूनाइटेड वर्ल्ड कॉलेज में एडमिशन मिल गया है वह भी फुल स्कॉलरशिप पर। वह पढ़ने के लिए विदेश जाने वाली अपने परिवार की इकलौती ऐसी सदस्य है।

रुतुजा

रुतुजा


रुतुजा की मां नंदा पहले एक ब्यूटी पार्लर चलाती थीं ताकि घर का गुजारा अच्छे से हो सके, लेकिन विषम परिस्थितियों के चलते उसे भी बंद करना पड़ा। कई मौकों पर रुतुजा के माता-पिता ने सब्जी बेचने जैसे काम किये ताकि घर चल सके।

एक ऑटोड्राइवर की बेटी जब अपनी काबिलियत के दम पर स्कॉलरशिप पाती है और विदेश की यूनिवर्सिटी में ए़डमिशन हासिल कर लेती है तो उसके पास खुश होने के कई सारे बहाने मिल जाते हैं। पुणे की 17 वर्षीय रुतुजा भोईटे की कहानी कुछ ऐसी ही है। रुतुजा ल्यूकोडर्मा जैसी बीमारी से लड़ रही थी, वह लोगों के सामने बोलने से भी डरती थी। लेकिन आज उसे थाइलैंड के यूनाइटेड वर्ल्ड कॉलेज में एडमिशन मिल गया है वह भी फुल स्कॉलरशिप पर। वह पढ़ने के लिए विदेश जाने वाली अपने परिवार की इकलौती ऐसी सदस्य है।

इंडियन वूमन ब्लॉग से बात करते हुए रुतुजा ने कहा, 'मैं एक गर्व की अनुभूति के साथ विदेश पढ़ने जा रही हूं। मैंने कड़ी मेहनत की और जो भी काम दिया गया उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ दिया जिससे मुझे यह मौका नसीब हो सका।' रुतुजा ने 2013 में 'टीच फॉर इंडिया' (TFI) में हिस्सा लिया था। उसके पहले तक रुतुजा इतनी शर्मीली स्वाभाव की थी कि उसे किसी से बात करने में भी झिझक महसूस होती थी। ब्लॉग के मुताबिक रुतुजा ने कहा, 'इसके पहले तक मैं काफी अंतर्मुखी स्वाभाव की थी, लेकिन इस पहल ने मेरी जिंदगी में काफी बदलाव ला दिया। इसके बाद मैं लोगों से खुलकर बात करने लगी।'

रुतुजा ने कहा, 'मैंने इस प्रोग्राम से जुड़कर करुणा, ज्ञान और साहस के मूल्यों को सीखा। मैंने नए लोगों के साथ मिलकर खुलकर रहना सीखा। शिक्षा को लेकर मेरी समझ और विकसित हुई और अधिक नंबर हासिल करने का दबाव भी खत्म हुआ।' रुतुजा ने 9वीं तक की पढ़ाई पुणे नगरपालिका के संत गाडगे महाराज इंग्लिश मीडियम स्कूल में की उसके बाद वह अवसारा अकैडमी में पढ़ने लगी। परिवार की हालत अच्छी न होने के बावजूद इस मुकाम पर पहुंचने के बाद अब वह दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है।

रुतुजा की मां नंदा पहले एक ब्यूटी पार्लर चलाती थीं ताकि घर का गुजारा अच्छे से हो सके, लेकिन विषम परिस्थितियों के चलते उसे भी बंद करना पड़ा। कई मौकों पर रुतुजा के माता-पिता ने सब्जी बेचने जैसे काम किये ताकि घर चल सके। मां नंदा ने कहा, 'वह हमसे काफी दूर जा रही है। मैंने उसे ल्यूकोडर्मा जैसी बीमारी से जूझते देखा है। मुश्किल वक्त में भी वह हारी नहीं और अपनी पढ़ाई करती रही।' रुतुजा पढ़ाई को लेकर इतनी गंभीर है कि छुट्टी के दिनों में वह अपने पड़ोस में रहने वाले बच्चों को भी पढ़ाती थी।

यह भी पढ़ें: मल्टीप्लेक्स का अनोखा प्रयास, शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम बच्चों के लिए अलग से शो