प्राइवेट स्कूल से सरकारी स्कूल में जाकर पढ़ाई करने वाली अनु ने 12वीं में किया टॉप
आर्ट्स स्ट्रीम की टॉपर की कहानी...
अनु आर्ट्स स्ट्रीम की स्टूडेंट है और उसने 12वीं में 500 में से 484 नंबर यानी 97 प्रतिशत अंक हासिल किए। उसे राज्य में चौथी रैंक हासिल हुई और आर्ट्स स्ट्रीम में गुड़गांव जिले में पहली रैंक। दिलचस्प बात ये है कि अनु के दोनों भाई प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं लेकिन वह सरकारी स्कूल में पढ़ी।
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अनु राठौड़
अनु की टीचर बताती हैं कि वह अपने काम को बड़ी लगन से पूरा करती है और हमेशा पढ़ाई में अव्वल आती है। वह गुड़गांव से कासन तक क्लास करने के लिए रोजाना लंबा सफर करके आती थी।
17 साल की अनु राठौड़ ने हरियाणा बोर्ड के 12वीं के एग्जाम में जिले में पहला स्थान हासिल किया। अनु ने यह सफलता सरकारी स्कूल में पढ़कर हासिल की है। गुड़गांव जिले के मानेसर तहतील के अंतर्गत आने वाले गांव की रहने वाली अनु के पिता एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करते हैं। उसके गांव में सिर्फ एक सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल है। अनु ने बताया कि गांव में सिर्फ एक सरकारी स्कूल को छोड़कर सारे स्कूल प्राइवेट हैं। वह कहती है, 'मैंने इस स्कूल में पढ़ाई इसलिए शुरू की क्योंकि मुझे इसके पहला वाला प्राइवेट स्कूल नहीं पसंद था। आसपास के लोग भी कहते थे कि प्राइवेट स्कूल में अच्छी पढ़ाई होती है, लेकिन मुझे सरकारी स्कूल बेहतर लगा।'
अनु आर्ट्स स्ट्रीम की स्टूडेंट है और उसने 12वीं में 500 में से 484 नंबर यानी 97 प्रतिशत अंक हासिल किए। उसे राज्य में चौथी रैंक हासिल हुई और आर्ट्स स्ट्रीम में गुड़गांव जिले में पहली रैंक। दिलचस्प बात ये है कि अनु के दोनों भाई प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं लेकिन वह सरकारी स्कूल में पढ़ी। उसका स्कूल मारुति कंपनी द्वारा सहायता प्राप्त है। इस स्कूल में लगभग 1,000 बच्चे पढ़ते हैं। अनु बताती है कि दोनों स्कूलों में टीचर के पढ़ाने के अंदाज में फर्क है। वह कहती है, 'शुरू में मैं इकोनॉमिक्स में कमजोर थी लेकिन स्कूल में आए नए टीचर ने मेरी खूब मदद की। उन्होंने मुझझे सारे कॉन्सेप्ट सही से समझाए।'
अनु ने पढ़ाई के लिए इंटरनेट की भी काफी मदद ली। आज इकोनॉमिक्स उसका पसंदीदा विषय है। वह अपने माता-पिता का शुक्रिया अदा करते हुए कहती है कि उन्होंने मुझसे कभी किसी चीज की डिमांड नहीं की। अनु के पिता गजराज सिंह एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में टेंपो चलाते हैं। उन्होंने बताया कि पढ़ाई को लेकर उन्होंने अपनी बेटी पर कभी प्रेशर नहीं डाला, जिसका नतीजा सबके सामने है। अब आगे वह दिल्ली यूनिवर्सिटी से इंग्लिश ऑनर्स की पढ़ाई करना चाहती है। आगे चलकर उसकी तमन्ना प्रोफेसर बनने की है। अनु अपनी इंग्लिश टीचर मिस प्रीति को अपना प्रेरणास्रोत मानती है और उनके जैसी टीचर बनना चाहती है।
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अपने परिवार के साथ अनु
अनु की टीचर बताती हैं कि वह अपने काम को बड़ी लगन से पूरा करती है और हमेशा पढ़ाई में अव्वल आती है। वह गुड़गांव से कासन तक क्लास करने के लिए रोजाना लंबा सफर करके आती थी। अनु ने कहा कि उसके सरकारी स्कूल में वे सारी सुविधाएं मौजूद हैं जो किसी आम प्राइवेट स्कूलों में होती हैं। चाहे वो साफ-सुथरे टॉयलट की बात हो या कंप्यूटर लाइब्रेरी हो या सभी सुविधाओं से लैस आधुनिक लाइब्रेरी। पढ़ाई में अपना अधिकांश समय व्यतीत करने वाली अनु को कविताएं पढ़ना बेहद पसंद है। उसका मानना है कि पढ़ाई एकमात्र ऐसा हथियार है जिससे समाज में बदलाव लाया जाया जा सकता है।
अनु कहती है, 'मैं ऐसे ग्रामीण इलाके में रहती हूं जहां महिलाएं बहुत ज्यादा शिक्षित नहीं हैं। शिक्षा महिलाओं को वह शक्ति देती है जिससे वे आसानी से आत्मनिर्भर बन सकती हैं। बिना पढ़ाईके उन्हें अपनी जरूरतों के लिए पुरुषों पर निर्भर रहना पड़ता है। फिर न तो वे अपनी जिंदगी के फैसले ले सकती हैं और न ही अपनी इच्छाओं की पूर्ति।' अनु बताती है कि उसके गांव में आज भी बाल विवाह का प्रचलन है। उसके साथ पढ़ने वाली तीन सहेलियों की तो शादी भी हो चुकी है। लेकिन अनु के माता-पिता इस मामले में अपवाद हैं और उन्होंने अनु पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डाला।
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