Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

मुंबई के ऑटो ड्राइवर ने लौटाया टीचर का 80 हजार रुपयों से भरा बैग, बच्चों की पढ़ाई मुफ्त

मुंबई के ऑटो ड्राइवर ने लौटाया टीचर का 80 हजार रुपयों से भरा बैग, बच्चों की पढ़ाई मुफ्त

Sunday March 11, 2018 , 4 min Read

मुंबई के एक ऑटो ड्राइवर ने इंसानियत की मिसाल को जिंदा रखते हुए एक स्कूल टीचर का बैग वापस कर दिया। उस बैग में 80 हजार रुपये के साथ क्रेडिट, डेबिट कार्ड और तमाम कागजात भी थे।

सरला और अमित (फोटो साभार- टाइम्स ऑफ इंडिया)

सरला और अमित (फोटो साभार- टाइम्स ऑफ इंडिया)


अमित सरला को बैग देकर वापस लौट गए। लेकिन बाद में सरला को ध्यान आया कि उन्होंने अमित का कोई कॉन्टैक्ट नंबर या पता नहीं लिया था। वह अमित की ईमानदारी पर प्रसन्न थीं और उसके लिए कुछ करना चाहती थीं।

अगर आपका कोई सामान ऑटो या कैब में छूट जाए तो क्या आप उसे वापस पाने की उम्मीद कर सकते हैं? ये लगभग नामुमकिन है कि आपको आपका सामान वापस मिले। लेकिन मुंबई के एक ऑटो ड्राइवर ने इंसानियत की मिसाल को जिंदा रखते हुए एक स्कूल टीचर का बैग वापस कर दिया। उस बैग में 80 हजार रुपये के साथ क्रेडिट, डेबिट कार्ड और तमाम कागजात भी थे। ड्राइवर की आर्थिक हालत कुछ ठीक नहीं थी। इसलिए बैग लौटाने के बदले ऑटो ड्राइवर को अपने बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था हो गई। साथ ही उसे 10,000 रुपये का पुरस्कार भी मिला।

दो महीने पहले की बात है, चेंबूर में प्राइमरी और प्री प्राइमरी बच्चों के लिए अरुणोदय इंग्लिश स्कूल चलाने वाली 68 वर्षीय सरला नंबोदरी ने स्कूल से पार्किंग में खड़ी कार तक पहुंचने के लिए एक ऑटो लिया था। वह बताती हैं, 'मैं अपनी कार स्कूल से थोड़ी दूर पर खड़ी की थी। मुझे चलने में दिक्कत होती है इसलिए वहां तक जाने के लिए मैंने ऑटो लिया।' लेकिन कार में पहुंचने के बाद उन्हें यह अहसास हुआ कि उनका बैग तो कार में ही छूट गया है। इसके बाद वह काफी चिंतित हो गईं। क्योंकि बैग में कई सारे कागजात के अलावा 80 हजार रुपये भी थे। ये पैसे स्कूल के बच्चों की फीस थी।

सरला ने बताया कि बैग में उनका ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, कार रजिस्ट्रेशन डॉक्यूमेंट्स, दो मोबाइल फोन और घर के लॉकर की चाबी भी थी। सरला मुंबई में अकेले रहती हैं और अगले ही दिन स्कूल भी बंद होने वाला था। उन्हें समझ नहीं आया कि वह क्या करें। इसके बाद वह अपने कार से ही वापस स्कूल गईं और वहां ऑटो ड्राइवर के बारे में पता लगाना शुरू किया। उन्होंने अपने स्कूल के चपरासी से ऑटो बुलाने के लिए कहा था। चपरासी ने स्कूल के पास ही पान की दुकान पर खड़े ऑटो वाले को बुलाया था इसलिए वह दोबारा पान की दुकान के पास गया और पानवाले से उस ऑटो ड्राइवर के बारे में पूछा।

पानवाले ने बताया कि उसका नाम अमित गुप्ता था। लेकिन उसके पास उसके बारे में और अधिक जानकारी नहीं थी। इधर सरला नंबोदरी की चिंता और बढ़ती ही जा रही थी, इसलिए उन्होंने पुलिस में शिकायत करने के बारे में सोचा। लेकिन इतने में ही वह ऑटो ड्राइवर स्कूल में आया और सरला को उनका बैग दे दिया। सरला को खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ड्राइवर अमित गुप्ता ने बताया कि उनके ऑटो में बाद में एक यात्री बैठा जिसका ध्यान इस बैग पर गया था। अमित को लगा कि ये बैग तो स्कूल वाली मैडम का था। वह वापस उस बैग को लेकर सीधे स्कूल लौटा।

पढ़ें: इस महिला ने पीएम मोदी से प्रभावित होकर स्वच्छ भारत अभियान में दान किए 45 लाख रुपये

अमित सरला को बैग देकर वापस लौट गए। लेकिन बाद में सरला को ध्यान आया कि उन्होंने अमित का कोई कॉन्टैक्ट नंबर या पता नहीं लिया था। वह अमित की ईमानदारी पर प्रसन्न थीं और उसके लिए कुछ करना चाहती थीं। उन्होंने वापस पानवाले से अमित के बारे में पूछा। लेकिन कुछ पता नहीं चला। लेकिन उन्होंने अमित की खोज जारी रखी। अभी हाल ही में पिछले हफ्ते उन्हें अमित के बारे में पता चला उन्होंने उसे अपने स्कूल बुलाया। बीते शनिवार को जब उन्होंने अमित से बात की तो उन्हें पता चला कि अमित के घर की आर्थिक स्थिति काफी बुरी हालत में है। वह अपने बच्चों को स्कूल भी नहीं भेज पा रहा है।

सरला इससे काफी द्रवित हो गईं। उन्हें लगा कि इस हालत में जीने वाला इंसान भी इतना ईमानदार हो सकता है। एक टीचर होने के नाते उन्होंने सोचा कि वे अमित के बच्चों को मुफ्त में पढ़ाएंगी। इसके अलावा उन्होंने अमित को तुरंत 10,000 रुपये का इनाम भी दिया। उन्होंने बताया कि अगर उनका बैग नहीं मिलता तो वे काफी मुश्किल में पड़ जातीं और काफी कागजात बनवाने के लिए भागदौड़ करनी पड़ती सो अलग। अमित के जैसे ईमानदार लोगों की वजह से समाज में इंसानियत शायद अभी बची हुई है। वाकई अमित जैसे लोग ही हमारे समाज के असली हीरो हैं।

यह भी पढ़ें: भारत-तिब्बत सीमा पर देश की रक्षा करने वाली पहली महिला ऑफिसर होंगी बिहार की प्रकृति