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गुजराती तड़का और भारतीय नमकीन का मिश्रण “Puzzle Snacks”

24 तरह के स्वाद में उपलब्धफिलहाल टीयर-2 शहरों में छाया “Puzzle Snacks” का खुमारअप्रैल, 2012 में शुरू हुआ ‘Expedite Foods’

गुजराती तड़का और भारतीय नमकीन का मिश्रण “Puzzle Snacks”

Saturday August 15, 2015 , 6 min Read

कई बार स्टार्टअप का विचार अविश्वसनिय हालात में सामने आते हैं। कुछ ऐसे ही हालात में Expedite Foods का जन्म हुआ। इसके संस्थापक अभिनव गुप्ता एक यूरोपियन कंपनी में काम करते थे। जहां पर वह भारत में सेल्स से जुड़े प्रबंधन का काम देखते थे। एक दिन अभिनव को मुंबई से बड़ौदा की उड़ान भरनी थी तो वो समय से पहले एयरपोर्ट पहुंच गए जहां पर उन्होने एक अखबार में ग्रामीण भारत से जुड़ी एक कहानी पड़ी। यही वो पल था जब उनको अपने अंदर बदलाव की झलक देखने को मिली। उन्होने महसूस किया कि भारत की असली ताकत उसकी बढ़ती आबादी है। जिसके बाद कई हफ्तों की योजना, विचार और अनुसंधान के बाद अभिनव ने स्नैक मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में उतरने का फैसला लिया। इस तरह Expedite Foods ने अपना पहला ब्रांड Puzzle स्नैक बाजार में उतारा। ये ब्रांड 24 प्रकार के स्वाद में बाजार में उपलब्ध है। इसमें पारंपरिक गुजराती तड़का भी है तो भारतीय नमकीन का मसाला भी।

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अभिनव के मुताबिक उनको अपने आइडिये पर पूरा भरोसा था लेकिन किसी ने उनका समर्थन नहीं किया। जिससे वो इस बारे में बात करते वो उनको मैन्यूफैक्चरिंग कारोबार से जुड़े खतरों के बारे में सावधान करता। बावजूद इसके अभिनव ने अपनी सारी जमा पूंजी अपने इस नये कारोबार में लगा दी। काम को जारी रखने के लिए उनको और पैसों की जरूरत थी लेकिन तब कुछ ही लोग उनकी मदद के लिए सामने आए। जब उनको लगा कि मदद के सभी दरवाजे बंद हो गए हैं तो उनके चचेरे भाई ने वित्त पोषण में उनकी मदद की। हालांकि उनको भी अभिनव के कारोबार को लेकर ज्यादा भरोसा नहीं था बावजूद इसके वो अभिनव की मदद को तैयार हो गए और अभिनव के काम में मार्गदर्शन करते गये। धीरे धीरे अभिनव के काम ने रफ्तार पकड़ी और उनके चचेरे भाई ने जो पैसा उनको कारोबार में लगाया था वो उनको वापस मिल गया। लेकिन कारोबार का विस्तार करना अभिनव के लिए बड़ी चुनौती थी।

‘Expedite Foods’ के लिए शुरूआती साल में अपने उत्पाद की गुणवत्ता को बरकरार रखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अभिनव ने इस बारे में बाजार में काफी रिसर्च की इसके लिए वो सुबह छह बजे घर से निकल जाते और दिन भर आसपास के शहरों की यात्राएं कर लोगों से उनके विचार जानते। इस दौरान वो वितरकों से आर्डर भी लेते। इस दौरान उन्होने देखा कि लोग एक बार उनका उत्पाद लेने के बाद दूसरी बार खरीदने को तैयार नहीं हैं। जब उन्होने इस समस्या की तह में जाने का फैसला लिया तो उनको पता चला कि उनका बेचा जाने वाला उत्पाद उनके दिए गए नमूनों के एकदम विपरीत है। इसके बाद जब उन्होने फैक्ट्री में जाकर इसकी जांच पड़ताल की तो पता चला कि वहां पर काम करने वाले लोग उनके जाने के बाद ठीक तरह से काम नहीं करते इसलिए उनके उत्पाद में गड़बड़ी की शिकायतें आ रही हैं।

ये स्थिति उनके लिए दुष्चक्र की तरह थी। एक ओर उनको ग्राहकों को जुटाने के लिए यात्राएं करना जरूरी था तो वही दूसरी ओर उनके गैरमौजूदगी में उनका उत्पाद कसौटी पर खरा नहीं उतर रहा था। इसका परिणाम ये हुआ कि उन्होने हर शहर में वितरकों की नियुक्ति कर दी। तो दूसरी ओर उत्पाद तैयार करने वाली पूरी टीम को बदल दिया और काम को वापस ढर्रे में लाने की कोशिश की। अभिनव के मुताबिक इस घटना से उनको कीमती सीख मिली कि किसी भी स्टार्टअप के लिए आप ही हर चीज के लिए जिम्मेदार होते हैं। फिर चाहे उत्पादन का क्षेत्र हो या सेल्स का। सभी जिम्मेदारी संस्थापक की होती है और संस्थापक शुरूआती दिनों में किसी पर विश्वास नहीं कर सकता।

अभिनव गुप्ता, संस्थापक

अभिनव गुप्ता, संस्थापक


दूसरे और स्टार्टअप की तरह अभिनव ने भी अपनी एक टीम बनाई खासतौर से उत्पादन के क्षेत्र के लिए क्योंकि ये बेहद मुश्किल काम था। इसकी वजह थी कि वो ये नहीं जानते थे कि व्यक्तिगत तौर पर लोगों को किस तरह का उत्पाद चाहिए। यही वजह है कि शुरूआती दिनों में उनसे कुछ गलतियां भी हुई लेकिन उन्होने उन गलतियों से सीखा और आगे बढ़े। उनके सामने दूसरी दिक्कत थी सेल्स से जुड़े सही लोगों की नियुक्ति। क्योंकि वो एक स्थापिक ब्रांड नहीं थे इसलिए काफी लोग ने उनके टीम का हिस्सा बनने में रूची नहीं दिखाई। इसके अलावा वित्त पोषण एक बड़ी समस्या था और अभिनव इन सभी परेशानियों का डट कर सामना कर रहे थे।

अभिनव ने अपना वितरण नेटवर्क टीयर2 और टीयर 3 शहरों की ओर बढ़ाने में ध्यान लगाया। लेकिन इसके लिए उनके पास मजबूत वितरण टीम का अभाव था और साथ साथ उनको ये भी सुनिश्चित करना था कि उनका उत्पाद लोगों की जेब के अनुकूल हो। इसलिए उन्होने अपने उत्पाद का शुरूआती दाम 5 रुपये रखा। अभिनव का कहना है कि धीरे धीरे वो बढ़ते जा रहे थे और कुछ सालों में उनकी पहचान ब्रांड के के तौर पर बनती जा रही थी। अभिनव का कहना है कि उन्होने ये सब छोटे छोटे टुकड़ों में सीखा और ये क्रम अगले 10-12 महीनों तक यूं ही चलता रहा जब कि वो बाजार में एक मजबूत ब्रांड के तौर पर उभर कर सामने नहीं आए।

अप्रैल, 2012 में शुरू हुए Expedite Foods साल दर साल 100 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है खास बात ये है कि ये पहले साल से ही मुनाफा कमा रहा है। टीम को विश्वास है कि वो आगे भी इस बढ़त को बरकरार रखने में कामयाब होंगे और अगले कुछ सालों में वो इस क्षेत्र की बुलंदी पर होंगे। नई सेल्स टीम के साथ ये लोग नये वितरक नियुक्त कर रहे हैं ताकि उनके उत्पाद की बिक्री में कई गुणा बढ़ोतरी हो।

खाद्य और प्रसंस्करण मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि स्नैक फूड इंडस्ट्री का बाजार 100 बिलियन डॉलर का है। इस वक्त देश में 1000 विभिन्न प्रकार के स्नैक आइटम और 300 प्रकार की नमकीन भारतीय बाजार में उपलब्ध है। पिछले तीन सालों के दौरान स्नैक इंडस्ट्री 10 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी है। इस बाजार में पहले से ही नमकीन वाला, इंदुबेन खाकरावाले, हल्दीराम और आनंद जैसे खिलाड़ी मौजूद है। बावजूद इसके ‘Expedite Foods’ की कई बडी योजनाएं हैं। काम को बढ़ाने के लिए ये लोग कड़ी मेहनत करते हैं इसके अलावा ये लोग मार्केटिंग कंसलटेंट से निरंतर संपर्क में रहते हैं। फिलहाल इनकी पकड़ ग्रामीण इलाकों में है लेकिन धीरे धीरे ये अपना कारोबार मुख्य शहरों में फैलाने पर काम कर रहे हैं।