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टैक्स एक्सटेंशन और देर से टैक्‍स भरने पर लगने वाले जुर्माने का लेखा जोखा

31 मार्च 2024 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के लिए, करदाताओं के लिए अपने आईटीआर को दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई, 2024 है.

टैक्स एक्सटेंशन और देर से टैक्‍स भरने पर लगने वाले जुर्माने का लेखा जोखा

Wednesday June 05, 2024 , 7 min Read

वित्त वर्ष (“FY”) समाप्त हो चुका है, यह देश भर के करदाताओं के लिए अपने आयकर रिटर्न (“आइटीआर”) को दाखिल करने की सालाना प्रक्रिया को शुरू करने का समय है. रिपोर्ट्स के अनुसार, आकलन वर्ष (“AY”) 2022-23 के दौरान दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की कुल संख्या 7.51 करोड़ रही, जो आकलन वर्ष 2021-22 में 6.63 करोड़ के मुकाबले मजबूत वृद्धि है. वहीं आकलन वर्ष 2023-24 में 8.18 करोड़ से अधिक रिटर्न दाखिल किए गए.

31 मार्च 2024 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के लिए, करदाताओं के लिए अपने आईटीआर को दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई, 2024 है. हालांकि, आईटीआर दाखिल करने में समय लगता है और व्यक्तिगत करदाताओं के लिए अपने आईटीआर को दाखिल करते समय जरूरी विभिन्न अनुसूचियों और दी जाने वाली सूचनाओं या डिस्‍क्‍लोज़र को समझना विशेष रूप से कठिन हो सकता है. लोगों को रिटर्न दाखिल करते समय सभी आवश्यक डेटा को एकत्र करना और पिछले वर्ष में उनके द्वारा किए गए खर्चों पर नज़र रखना मुश्किल लगता है और इसलिए, रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख से चूकने की बहुत अधिक संभावना होती है. इस प्रकार, कई व्यक्ति अपने टैक्‍स रिटर्न दाखिल करने के लिए कुछ अतिरिक्त समय चाहते हैं ताकि आयकर अधिकारियों की संभावित कार्रवाई से बचा जा सके.

आयकर विभाग ने उन करदाताओं को, जो वास्‍तविक टैक्‍स दाखिल करने की समय सीमा से चूक गए हैं, उन्हें उस कैलेंडर वर्ष के अंत से पहले विलंबित रिटर्न दाखिल करने का अवसर दिया है और यह तारीख 31 दिसंबर 2024 है. इस प्रकार, आकलन वर्ष 2024-25 के लिए विलम्बित रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 31 दिसंबर 2024 होगी.

हालांकि, विलम्बित रिटर्न दाखिल करने वाले करदाता को 5,00,000 रुपये से कम आय होने पर 1,000 रुपये का जुर्माना देना होगा और 5,00,000 रुपये से अधिक आय होने पर 5,000 रुपये का जुर्माना देना होगा. इसके अलावा ब्याज के रूप में जुर्माना और समय पर रिटर्न दाखिल करने वालों को मिलने वाले कुछ लाभों का भी नुकसान उठाना होगा. इसलिए, टैक्‍स अनुपालन यानी समय पर टैक्‍स दाखिल करना एक कानूनी दायित्व बन जाता है, और प्रत्येक करदाता को एक सहज और परेशानी मुक्त अनुभव के लिए जिम्मेदार वित्तीय व्यवहार को प्राथमिकता देनी चाहिए. यहां आयकर रिटर्न दाखिल करने में देरी के दुष्परिणामों के बारे में अधिक जानकारी दी गई है और एक्सटेंशन या अतिरिक्त समय हासिल करने के लिए उपलब्ध विकल्पों का पता लगाया गया है.

  • यदि आपको व्यवसाय और पूंजीगत नुकसान जैसा घाटा नहीं हुआ है, तो उन्हें आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है और बाद के वर्षों में सेट ऑफ नहीं किया जा सकता है. हालांकि, घर की संपत्ति से होने वाले नुकसान के लिए एक प्रावधान उपलब्ध है जिसके द्वारा आप लेट रिटर्न भरकर भी अपने नुकसान को बाद के वर्षों में सेट ऑफ कर सकते हैं.

  • अस्वीकृत कटौतियां/छूट: यदि आप आईटीआर दाखिल करने में देरी करते हैं तो धारा 10A, 10B, 80-IA, 80-IB, 80-IC, 80-ID और 80-IE के तहत कटौती/छूट उपलब्ध नहीं होगी. टैक्‍स में बचत के ये लाभ केवल तभी दिए जाते हैं जब आईटीआर मूल समय सीमा से पहले भरा जाता है.
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देर से आईटीआर भरने पर लगने वाले जुर्माने पर एक नजर

आयकर अधिनियम की धारा 234F के अधिसूचित नियमों के अनुसार, समय सीमा के बाद आईटीआर भरने पर जुर्माना लगता है. आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2021 से देरी से दाखिल करने पर अधिकतम जुर्माना 10,000 रुपये से घटाकर 5,000 रुपये कर दिया है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि करदाता समय सीमा को यूं ही नजरअंदाज कर सकते हैं क्योंकि देर से दाखिल करने के जुर्माने के साथ-साथ, आयकर विभाग द्वारा आईटीआर के देर से दाखिल करने वालों पर अन्य शुल्क और बंदिशें लगाई जाती हैं. यदि आपकी कुल आय 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो देरी से दाखिल करने पर अधिकतम जुर्माना 1,000 रुपये होगा, जो छोटे करदाताओं के लिए राहत की बात है. वहीं, उच्च आय वाले लोगों को आईटीआर भरने की समय सीमा चूकने पर पूरे 5,000 रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है.

नुकसान को अगले वर्ष में कैरी फॉरवर्ड ना कर पाने का घाटा

देर से आईटीआर दाखिल करने के सबसे बड़े घाटों में एक यह है कि कुछ नुकसानों को अगले वित्त वर्षों में कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जा सकता है. वित्त वर्ष के दौरान हुए नुकसान के मामले में, जैसे कि व्यवसाय से होने वाले नुकसान या पूंजीगत प्रकृति के नुकसान, अंतिम तिथि के भीतर आईटीआर न भरने पर आप भविष्य की आय के विरुद्ध ऐसे नुकसानों की भरपाई करने के अवसर से वंचित हो जाएंगे. नुकसान को ऑफसेट करने से करदाता को भविष्य के आकलन वर्षों में अपनी टैक्‍स लाएबिलिटी कम करने में मदद मिलती है. हालांकि, गृह संपत्ति से होने वाले नुकसान को समय सीमा के बाद आईटीआर दाखिल करने की स्थिति में भी कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है.

देरी से मिलने वाले रिफंड की वजह से वित्तीय असुविधा की स्थिति

जिन करदाताओं की कर देयता उनकी आय से स्रोत पर काटे गए/संग्रहित कर ("TDS/TCS") की कुल राशि से कम है, वे काटे गए/संग्रहित किए गए ऐसे अतिरिक्त टैक्‍स की वापसी का दावा या रिफंड क्लेम कर सकते हैं. लेकिन यह रिफंड तभी क्लेम किया जा सकता है जब करदाता ने अपना आईटीआर दाखिल किया हो. यदि करदाता कर दाखिल करने की समय-सीमा से चूक जाता है और अपना आईटीआर देरी से दाखिल करता है, तो विभाग द्वारा उसे देय योग्य रिफंड तभी संसाधित किया जाएगा जब करदाता अपना रिटर्न दाखिल कर देगा. विभाग से रिफंड प्राप्त करने में यह देरी करदाता के लिए वित्तीय असुविधा का कारण बन सकता है, क्योंकि उनकी योग्य आय विभाग के पास बेकार पड़ी रहती है, जिससे करदाता के लिए संभावित आय अर्जित करने के अवसरों या नकदी प्रवाह के मुद्दों को आगे बढ़ाने में देरी हो सकती है.

भुगतान नहीं किए गए टैक्स पर ब्याज

जुर्माने के अलावा, देर से दाखिल करने वालों को आयकर अधिनियम की धारा 234A के तहत भुगतान नहीं किए गए करों पर ब्याज भी देना पड़ सकता है, क्योंकि आईटीआर दाखिल करने में देरी होती है. वर्तमान में ब्याज दर हर महीने या उसके हिस्से के लिए 1% निर्धारित की गई है, जिसकी गणना आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि के अगले दिन से की जाती है. यह ब्याज शुल्क कर भुगतान में देर नहीं किए जाने के लिए प्रेरित करता है, जिसका उद्देश्य समय पर आईटीआर दाखिल सुनिश्चित करना है.

अतिरिक्त भुगतान किए गए टैक्‍स के लिए सरकारी रिफंड प्राप्त करने के हकदार करदाताओं को रिफंड प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए अंतिम तिथि से पहले अपना आईटीआर दाखिल करना चाहिए. देर से दाखिल करने से रिफंड में काफी देरी हो सकती है, जिससे वित्तीय असुविधा और संभावित नकदी प्रवाह संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.

निष्कर्ष

टैक्‍स के नियमों का पालन करने की जटिलताओं के बीच समय पर आईटीआर दाखिल करना आवश्यक है. उपर्युक्त दिशा-निर्देशों के साथ, करदाता अनावश्यक देरी, दंड और ब्याज शुल्क से बच सकते हैं. इसके अलावा, प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और छोटे करदाताओं को राहत प्रदान करने के लिए भारतीय आयकर विभाग के प्रयास टैक्‍स-फ्रैंडली माहौल को बढ़ावा देने की दिशा में उठाए गए सराहनीय कदम हैं.

डिजिटल प्लेटफॉर्म और सरल तरीके से टैक्‍स दाखिल करने की प्रक्रियाओं को अपनाने से अनुपालन को बढ़ावा मिल सकता है और टैक्स फाइल करने के अनुभव में सुधार हो सकता है. करदाताओं को अधिकारियों द्वारा दिए गए किसी भी अपडेट या एक्सटेंशन के बारे में जानकारी रखनी चाहिए और एक सहज और जुर्माना-मुक्त टैक्स फाइल करने की प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए उसी के मुताबिक योजना बनानी चाहिए.

(लेखिका बतौर टैक्स एक्सपर्ट ‘ClearTax’ से जुड़ी हुई हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखिका के हैं. YourStory का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)

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Edited by रविकांत पारीक