आईआईटी-दिल्ली की पूर्व छात्रा के टॉय स्टार्टअप में अभिनेत्री दिया मिर्ज़ा ने क्यों किया निवेश
योरस्टोरी के साथ बातचीत में टॉय स्टार्टअप शुमी की संस्थापक मीता शर्मा गुप्ता और अभिनेत्री, पर्यावरणविद् व निवेशक दिया मिर्ज़ा ने इस आइडिया और कॉन्सेप्ट की प्रासंगिकता के बारे में बात की है। साथ ही अभिनेत्री ने बताया है कि उन्होंने इस स्टार्टअप में निवेश करना क्यों चुना है।
जब हार्वर्ड और आईआईटी-दिल्ली की पूर्व छात्रा मीता शर्मा गुप्ता 2012 में मां बनीं और अमेरिका से भारत लौटीं तो उन्होंने अपने दो साल के बेटे के लिए खिलौनों की खरीदारी करने का फैसला किया। खरीदारी के लिए उनकी सूची सरल थी, वे सस्टेनेबल टॉयज़ चाहती थीं, जिनमें प्लास्टिक या इलेक्ट्रॉनिक भागों का उपयोग नहीं किया गया हो।
मीता योरस्टोरी को बताते हुए कहती हैं, "लेकिन ऐसा कुछ भी उपलब्ध नहीं था और मैंने पाया कि यह बहुत ही निराशाजनक था।" उन्होंने आगे कहा कि सस्टेनेबल सामग्री से खिलौने बनाने का कॉन्सेप्ट उस समय नहीं था।
बच्चों के लिए आज़ादी के साथ खेलने के आनंद को वापस लाने के उद्देश्य से मीता ने साल 2016 में
की शुरुआत की।मीता कहती हैं, “माता-पिता के रूप में हम एजुकेशनल खिलौनों के प्रति जुनूनी हैं और अपने बच्चों को बहुत कम उम्र से सीखने के लिए प्रेरित करते हैं। हम जो भूल जाते हैं, वह यह है कि बच्चे मुक्त, खुले वातावरण में सबसे अच्छा फलते-फूलते हैं और वहाँ उनपर दबाव नहीं होता है। खिलौने को कभी भी बच्चे पर हावी नहीं होना चाहिए या उसका मार्गदर्शन नहीं करना चाहिए, यह बच्चे को खेलने के अनुभव के साथ ही सीखने के लिए होना चाहिए।”
अभिनेत्री, पर्यावरणविद् और निवेशक दीया मिर्जा भी मीता के इस कथन से सहमत हैं। वे कहती हैं, "यह हमारी जड़ों की ओर वापस जाने के बारे में है।"
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मीता शर्मा गुप्ता, फाउंडर, Shumee
क्यों शामिल हुईं दिया मिर्ज़ा?
अक्टूबर 2021 में दिया ने शुमी में निवेश किया था। वे कहती हैं, “एक माँ के रूप में मैं ऐसे उत्पादों की तलाश में रही हूँ जो सुरक्षा सुनिश्चित करें और पर्यावरण के अनुकूल हों। जो न केवल आपके बच्चे की भलाई के लिए अच्छे हैं, बल्कि उस दुनिया के लिए भी जिसमें हम रहते हैं।”
दिया ऐसे उत्पादों को ऑनलाइन देखती रहीं और अपनी इसी के चलते उन्होंने शुमी की खोज की।
दिया कहती हैं, "मैंने फोन उठाया और व्यवसाय और उसके मॉडल के बारे में और अधिक समझने के लिए मीता को फोन किया। जब मेरी टीम और मैंने मीता के साथ बातचीत की तब मुझे यकीन हो गया था कि मैं उनके जैसे और अधिक व्यवसायों और महिला उद्यमियों का समर्थन करना चाहती हूं।”
दिया के अनुसार, उनका ध्यान अधिक महिला लीडर्स और उद्यमियों का समर्थन करने पर है। वे कहती हैं, "मुझे लगता है कि महिलाएं बिजनेस मॉडल को बहुत अलग तरीके से बनाती हैं और देखती हैं।"
शुमी में अपने निवेश के बारे में दिया कहती हैं, ”यह जीवन, अपनी खुद की और दुनिया के बारे में अपनी समझ का विस्तार करने का एक अमूल्य अवसर है। एक माँ के रूप में, आप न केवल अपने बच्चे, बल्कि अन्य बच्चों और उनके जीवन के सभी रूपों की भलाई के लिए गहराई से अभ्यस्त हो जाती हैं। मैं एक ऐसे ब्रांड का प्रचार करने को लेकर रोमांचित हूं जो इस क्षेत्र में कुछ बेहतरीन और श्रेणी-निर्धारण का काम कर रहा है।”
दिया वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया, सेव द चिल्ड्रन और इंटरनेशनल फंड फॉर एनिमल वेलफेयर की एम्बेस्डर हैं।
दिया और मीता दोनों के लिए उद्देश्य ऐसे उत्पाद बनाने में था जो लंबे समय तक चलने वाले और टिकाऊ हों।
दिया कहती हैं, "अपने बच्चे की ज़रूरतों से अवगत होने के नाते, मुझे लगता है कि शुमी खिलौनों की पूरी श्रृंखला मेरे बच्चे के विकास के लिए काफी सही है। मैं इस बात की भी सराहना करती हूं कि शुमी खिलौने स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए हैं। ये खिलौने अंदर और बाहर प्राकृतिक हैं और यह एक बहुत ही आश्वस्त करने वाला विचार है।”
बच्चों को बेहतर सीखने में मदद करना
फैंसी खिलौने सुरक्षित नहीं होते हैं और उनके थोड़े समय में टूटने की संभावना होती है। ऐसे में पुराने स्कूल वाले खिलौनों को ढूंढना एक चुनौती हो सकती है जो बच्चों के लिए जोखिम पैदा नहीं करते हैं।
शुमी खिलौने एनआईडी और निफ्ट सहित भारत के शीर्ष डिजाइन स्कूलों की एक इन-हाउस टीम द्वारा बनाए गए हैं। उन्हें स्थानीय कारीगरों द्वारा लकड़ी, कपास और अन्य प्राकृतिक और बच्चों के लिए सुरक्षित सामग्री का उपयोग करके दस्तकारी के जरिये तैयार किया जाता है।
मीता का कहना है कि खिलौनों का विचार बच्चों को सीखने और बेहतर तरीके से जुड़ने में मदद करना है। वे कहती हैं, "बच्चे खेल से सीखते हैं, जबकि बल या दबाव से नहीं। वर्तमान में शुमी के पास 100 से अधिक खिलौने और विभिन्न खेल हैं।”
जैसे-जैसे बच्चे खेलते हैं, वे उम्र के अनुकूल कौशल विकसित करते हैं, जिसमें शुरुआती महीनों में संवेदी कौशल और बाद में समस्या-समाधान, रचनात्मकता और संचार शामिल हैं। खिलौनों की कीमत 250 रुपये से 500 रुपये के बीच है और मीता का कहना है कि "विचार बच्चों के खिलौने के स्पेस में सर्वोत्तम उत्पाद तैयार करना है"।
सभी महिला लीडर्स को सलाह देते हुए दिया कहती हैं, ”महिलाओं में हमेशा से ही व्यवसाय और नेतृत्व की समझ रही है। उन्हें बस खुद पर विश्वास शुरू करने की जरूरत है। कृपया कुछ नया करने की कोशिश करने में संकोच न करें। आपको खुद के अलावा कुछ भी नहीं रोकता है।”
Edited by Ranjana Tripathi