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पहली पीढ़ी के एक ‘सफल उद्यमी’ के ‘साहित्यिक सुपरस्टार’ बनने की कहानी

ये कहानी है सफल उद्यमी और चर्चित लेखक विनीत बाजपेयी की जो साहित्य की दुनिया के नए सुपरस्टार बन कर उभरे हैं. उनकी किताबों को न सिर्फ पाठकों से, बल्कि समीक्षकों से भी अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिली है.

पहली पीढ़ी के एक ‘सफल उद्यमी’ के ‘साहित्यिक सुपरस्टार’ बनने की कहानी

Monday November 21, 2022 , 5 min Read

किसी भी इंसान में असीम संभावनाएं होती है. लेकिन उन संभावनाओं को वास्तविक आकार वो प्रतिभा और हुनर देती है, जिसकी पहचान कर इंसान सफलताओं के आयाम स्थापित करता जाता है. ऐसी ही कहानी है सफल उद्यमी और चर्चित लेखक विनीत बाजपेयी की जो साहित्य की दुनिया के नए सुपरस्टार बन कर उभरे हैं. उनकी किताबों को न सिर्फ पाठकों से, बल्कि समीक्षकों से भी अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिली है. किसी ने उन्हें साहित्यिक दुनिया का नया सितारा बताया है, तो किसी ने विनीत की तुलना बहुचर्चित लेखक डैन ब्रोउन से की है.

विनीत के लेखक के रूप में कामयाब होने की कहानी प्रेरणादायक है. यह उनके कुशल लेखन और दमदार शैली का ही नतीजा है कि विनीत की बेस्टसेलर हड़प्पा त्रयी पुस्तकों की शृंखला की अब तक 3 लाख से भी ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं. यह उनकी करिश्माई कथाकारिता की कला है कि पाठकों ने हड़प्पा त्रयी (हड़प्पा, प्रलय और काशी) की तुलना प्रसिद्ध साहित्यिक गाथा गेम ऑफ थ्रोन्स से की है. हड़प्पा त्रयी की पुस्तक ‘प्रलय’ एचटी-नीलसन चार्ट में टॉप पर रही है. ‘हड़प्पा’ और ‘काशी’ पुस्तकें अपने रिलीज होने के बाद से ही अमेज़न के बेस्टसेलर चार्ट में टॉप पर बनी हुईं हैं.

विनीत के हाल में प्रकाशित हुए ‘मस्तान’ उपन्यास को भी पाठकों से प्यार मिला है. विनीत की अब तक कुल 8 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं. जिसमें हड़प्पा और मस्तान त्रयी शृंखला की 5 और प्रबंधन की 3 पुस्तकें शामिल हैं. लोगों को बिजनेस के गुर सिखाने के उद्देश्य से, विनीत ने (अंग्रेज़ी भाषा में) प्रबंधन पर तीन पुस्तकें ‘द स्ट्रीट टू द हाइवे’, ‘बिल्ड फ़्रोम स्क्रैच’ एवं ‘द 30 समथिंग सीईओ’ भी लिखी. इसके साथ ही हिन्दी मे उनकी किताब ‘आसमान से आगे’ भी आई थी. इन सभी किताबों को समाज के हर वर्ग से काफी प्रशंसा भी मिली है. विशेष रूप से उद्यमी-वर्ग, जिसने विनीत की प्रबंधन की पुस्तकों को हाथों-हाथ लिया है.

दुनियाभर के पाठकों से जुड़ना है मेरा लक्ष्य

विनीत कहते हैं कि “मेरे लिए दोनों विधाओं का अपना-अपना आनंद और आत्मतृप्ति है. मैंने अपने कॉर्पोरेट अनुभव को साझा करने और अपने पाठकों को बेहतर करियर और श्रेष्ठ कंपनियों के निर्माण में मदद करने के लिए प्रबंधन की पुस्तकें लिखीं. दूसरी ओर, कथा उपन्यास मेरे अंदर के कहानीकार को लोगों के समक्ष रखते हैं और मुझे लाखों पाठकों से सीधे जुड़ने का मौका देते हैं. मुझे हमारे महान राष्ट्र के इतिहास और पौराणिक कथाओं, हमारे मंदिरों और शास्त्रों के प्रति गहरा लगाव है. इस उत्साह को दुनिया भर के पाठकों के साथ साझा करने का इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता है.”

विनीत कहते हैं कि “मैं रोजाना अपने पाठकों से ईमेल्स, समीक्षाएं और सोशल मीडिया पर आए संदेश पढ़ता हूँ. यह स्नेह मुझे और अधिक और जिम्मेदारी से लिखने के लिए शक्ति रूपी ईंधन देता है.”

वह आगे कहते हैं कि दुनियाभर के पाठकों से जुड़ना ही उनका लक्ष्य है.

विनीत की पुस्तकें हिन्दी, मराठी और गुजराती के साथ साथ अन्य भाषाओं में भी प्रकाशित हुई हैं.

रहस्यों और रोमांच के बीच घूमती ‘हड़प्पा त्रयी’

बात करें विनीत बाजपेयी की ‘हड़प्पा’ त्रयी (शृंखला) की पुस्तकों की तो ये एक गहन ऐतिहासिक-थ्रिलर है जो सिंधु घाटी सभ्यता की गहरी और रहस्यमय पृष्ठभूमि को समकालीन और जुनूनी कहानी से जोड़ती है. हड़प्पा आपको 3,700 वर्ष की यात्रा पर ले जाती है, ठीक 1700 ईसा पूर्व से सिंधु घाटी से आधुनिक दिल्ली और पेरिस की ओर. एक ऐसी रोमांचकारी कहानी जो सिंधु घाटी सभ्यता के कुछ अनुत्तरित सवालों के आसपास घूमती है. क्या सरस्वती नदी वास्तव में अस्तित्व में थी? आज तक हड़प्पा सभ्यता अपठित क्यों रही? आखिर इस शक्तिशाली सभ्यता के पतन के पीछे क्या सच्चाई थी? इस सभ्यता के पतन के आसपास एक गहरी, अंधकारमय साजिश है, जो हड़प्पा से काशी, 5वीं शताब्दी के कांस्टेंटिनोपल को 16 वीं शताब्दी के गोवा और वेटिकन के बीच के कई बिंदुओं को जोड़ती है.

बहुत जल्द बड़े पर्दे पर आएगी हड़प्पा-त्रयी

विनीत बाजपेयी की हड़प्पा त्रयी को जल्द ही फिल्म की शक्ल मिलने वाली है. विनीत के प्रशंसक बहुत जल्द इस रोमांचकारी पटकथा को बड़े पर्दे पर देख पाएंगे. विनीत ने इसकी घोषणा खुद अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर की है.

मस्तान त्रयी ने भी छोड़ी पाठकों के मन पर अमिट छाप

हड़प्पा त्रयी की ऐतिहासिक सफलता के बाद विनीत बाजपेयी के उपन्यास मस्तान त्रयी ने भी पाठकों के बीच एक अनूठी जगह बनाई है. इस त्रयी में अभी तक दो पुस्तकें ‘मस्तान- दिल्ली का बागी सरफरोश’ और ‘1857: द स्वोर्ड ऑफ मस्तान’ प्रकाशित हुई हैं. इन दोनों पुस्तकों ने समीक्षकों को भी प्रभावित किया है. सभी को अब इस शृंखला की तीसरी पुस्तक का इंतजार है.

विनीत बाजपेयी के सफल उद्यमी बनने के सफर पर नजर डालें तो विनीत विश्व-प्रख्यात लेखक होने के साथ-साथ देश की टॉप डिजिटल एजेंसियों में से एक ‘मेगनोन ग्रुप’ के चेयरमैन हैं. इसके साथ ही वह ‘टैलंटट्रैक’ नामक कंपनी के संस्थापक हैं जो कलाकारों के लिए उनकी प्रतिभानुसार अवसर दिलाने का जरिया बन रहा है.

विनीत टीबीडबल्यूए इंडिया ग्रुप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) भी रहे. वर्ष 2000 में, महज 22 साल की उम्र में, 14,000 रुपए के साथ अपने बिजनेस की शुरुआत करने वाले विनीत की गिनती देश के शीर्ष उद्यमियों में होती है. वर्ष 2014 मे विनीत को इंपेक्ट पत्रिका की डिजिटल इंडस्ट्री के 100 प्रभावी लोगों की सूची मे शामिल किया गया था. 2013 मे सिलिकॉन इंडिया पत्रिका ने अपने आवरण पृष्ठ पर विनीत को भारतीय मीडिया का नया पोस्टर बॉय बताया था.

विनीत को कई अवार्ड भी मिले हैं. वह 2013 मे लाल बहादुर शास्त्री (कॉर्पोरेट एक्सिलेंस) अवार्ड, 2012 मे एमिटी (कॉर्पोरेट एक्सिलेंस) अवार्ड, 2011 मे सीएनबीसी टीवी मर्सिडीज बेंज़ यंग टर्क अवार्ड और एशिया पेसिफिक उद्यमी अवार्ड से नवाज़े जा चुके हैं.