चेक बाउंस पर SBI, PNB समेत 4 बड़े बैंकों में कितना चार्ज, जुर्माने और जेल जाने का भी खतरा
अलग-अलग बैंकों में चेक बाउंसिंग पर चार्ज अलग-अलग है. साथ ही ध्यान रहे कि चेक बाउंस होना कानूनी अपराध भी है और आप पर मुकदमा हो सकता है.
जब भी नकदी रहित (Cashless) ट्रांजेक्शन की बात उठती है तो चेक से पेमेंट के विकल्प का भी जिक्र होता है. हालांकि यह बात और है कि मोबाइल वॉलेट और UPI के दौर में ज्यादातर ट्रांजेक्शन डिजिटली हो जाते हैं. लेकिन कई बड़े पेमेंट्स आज भी बैंक चेक के माध्यम से ही हो रहे हैं. जब भी चेक से लेन-देन करें तो एक नजर अपने बैंक अकाउंट के बैलेंस पर भी डाल लें. अकाउंट में जितना बैलेंस हो, उसी के अनुरूप चेक पर अमाउंट भरना चाहिए. अपर्याप्त बैलेंस के चलते अगर चेक बाउंस हुआ यानी रिटर्न हुआ तो आपको 500 रुपये तक का चार्ज प्लस GST भरना पड़ सकता है.
अलग-अलग बैंकों में चेक बाउंसिंग पर चार्ज अलग-अलग है. साथ ही ध्यान रहे कि चेक बाउंस होना कानूनी अपराध भी है और आप पर मुकदमा हो सकता है. आइए जानते हैं कि देश के 5 प्रमुख बैंकों में चेक बाउंस होने पर चार्ज की दर कितनी है और किन परिस्थितियों में चेक के बाउंस होने को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा....
SBI
SBI में कम राशि के चलते चेक रिटर्न होने पर पर्सनल बैंकर्स और ट्रांजेक्शन बैंकिंग यूनिट के लिए चार्ज 500 रुपये प्लस GST है. एसएमई ग्राहकों के मामले में एक वर्ष में पहले 3 चेक रिटर्न होने पर चार्ज 500 रुपये प्लस GST तय किया गया है. एक वर्ष में चौथा चेक रिटर्न होने पर, इसके बाद से चार्ज 1000 रुपये प्लस GST लगेगा. अगर किसी तरह की तकनीकी खराबी की वजह से चेक रिटर्न हुआ तो बैंक हर तरह के ग्राहक से 150 रुपये प्लस GST चार्ज लेगा. लेकिन अगर कस्टमर की गलती नहीं है तो उससे चार्ज की वसूली नहीं की जाएगी.
बैंक ऑफ बड़ौदा
बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) में फाइनेंशिल कारणों के चलते चेक रिटर्न होने पर अलग-अलग अमाउंट और ब्रांच की लोकेशन के आधार पर चार्ज अलग-अलग है. चार्ज की दर 200 रुपये से लेकर 750 रुपये तक है. ऐसे तकनीकी कारण जो ग्राहकों की गलती से नहीं उपजे हैं, की वजह से चेक रिटर्न होने पर कोई चार्ज नहीं वसूला जाएगा.
पंजाब नेशनल बैंक
अगर चेक किसी तकनीकी खराबी की वजह से रिटर्न होता है तो ग्राहक से कोई चार्ज नहीं वसूला जाएगा. इसके अलावा...
लोकल रिटर्निंग चार्जेस
ग्रामीण शाखाओं के इंडीविजुअल कस्टमर्स, सीनियर सिटीजन और पेंशनर्स के मामले में खाते में फंड की कमी के चलते चेक के रिटर्न होने पर इनवार्ड रिटर्निंग चार्जेस...
- 1 लाख रुपये तक के चेक के लिए 200 रुपये प्रति इंस्ट्रूमेंट प्लस जीएसटी
- 1 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक के चेक के लिए चार्ज 500 रुपये प्रति इंस्ट्रूमेट प्लस जीएसटी
- 1 करोड़ रुपये से ज्यादा के चेक के मामले में एक महीने के दौरान पहले चेक के लिए 2000 रुपये, उसके बाद 2500 रुपये प्रति रिटर्न प्लस जीएसटी
किसी अन्य वजह से चेक रिटर्न होने पर चार्ज 100 रुपये प्रति इंस्ट्रूमेंट प्लस जीएसटी
आउटवर्ड रिटर्निंग चार्जेस
लोकल चेक के मामले में
- 1 लाख रुपये तक के चेक के रिटर्न होने पर 150 रुपये प्रति इंस्ट्रूमेंट प्लस जीएसटी
- 1 लाख से लेकर 10 लाख रुपये तक के चेक के रिटर्न होने पर 250 रुपये प्रति इंस्ट्रूमेंट प्लस जीएसटी
-10 लाख रुपये से ज्यादा के चेक के रिटर्न होने पर 500 रुपये प्रति इंस्ट्रूमेंट प्लस जीएसटी
आउटस्टेशन रिटर्निंग चार्जेस
- 1 लाख रुपये तक के चेक के रिटर्न होने पर 150 रुपये प्रति इंस्ट्रूमेंट प्लस जीएसटी+ आउट ऑफ पॉकेट खर्च
- 1 लाख से लेकर 10 लाख रुपये तक के चेक के रिटर्न होने पर 250 रुपये प्रति इंस्ट्रूमेंट प्लस जीएसटी+ आउट ऑफ पॉकेट खर्च
-10 लाख रुपये से ज्यादा के चेक के रिटर्न होने पर 500 रुपये प्रति इंस्ट्रूमेंट प्लस जीएसटी+ आउट ऑफ पॉकेट खर्च
आउटवर्ड रिटर्निंग चार्जेस
- 1 लाख रुपये तक के चेक के रिटर्न होने पर 150 रुपये प्रति इंस्ट्रूमेंट प्लस जीएसटी
- 1 लाख से लेकर 10 लाख रुपये तक के चेक के रिटर्न होने पर 250 रुपये प्रति इंस्ट्रूमेंट प्लस जीएसटी
-10 लाख रुपये से ज्यादा के चेक के रिटर्न होने पर 500 रुपये प्रति इंस्ट्रूमेंट प्लस जीएसटी
ICICI बैंक
ICICI बैंक (ICICI Bank) में वित्तीय कारणों से अगर चेक रिटर्न होता है तो 'चेक रिटर्न आउटवार्ड' के मामले में चार्ज 200 रुपये प्रति मामला (instance) है. 'चेक रिटर्न इनवार्ड' के मामले में चार्ज 500 रुपये प्रति मामला है. अगर चेक गैर वित्तीय कारणों (सिग्नेचर वेरिफिकेशन को छोड़कर) की वजह से लौटता है तो इनवार्ड रिटर्न के मामले में चार्ज 50 रुपये प्रति मामला लगता है.
चेक बाउंस होना कब माना जाएगा अपराध
भारत में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 में हुए संशोधन के बाद सेक्शन 138 के तहत चेक बाउंस होना कानूनी अपराध माना गया है. इसके तहत 2 साल तक की जेल या चेक में भरी राशि का दोगुना तक जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है. हालांकि मुकदमा तभी हो सकता है, जब चेक अपर्याप्त बैलेंस के चलते बाउंस हुआ हो. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चेक बाउंस के मामले के एक आपराधिक कृत्य होने के लिए जरूरी है कि भुगतान के लिए बैंक में पेश किए जाते समय वह चेक कानूनी रूप से प्रवर्तनीय कर्ज का हिस्सा हो. धारा 138 के तहत चेक बाउंस को आपराधिक कृत्य मानने के लिए यह जरूरी है कि बाउंस हुआ चेक पेश किए जाते समय एक वैध प्रवर्तनीय ऋण का प्रतिनिधित्व करे.
अगर चेक जारी करने के बाद और उसे भुनाए जाने के पहले जारीकर्ता उस राशि के कुछ या पूरे हिस्से का भुगतान कर देता है तो फिर चेक परिपक्वता की तारीख पर वैध प्रवर्तनीय ऋण उस चेक पर अंकित राशि के बराबर नहीं होगा. बता दें कि, चेक का बाउंस होना एक दंडनीय अपराध है और दोषी पाए गए व्यक्ति को अर्थदंड के साथ अधिकतम दो साल तक की सजा हो सकती है.