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डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स में क्या अंतर, बजट से पहले जान लें

जब टैक्स की बात होती है तो यह जानना जरूरी है कि टैक्स दो प्रकार का होता है- डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स.

डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स में क्या अंतर, बजट से पहले जान लें

Tuesday January 31, 2023 , 4 min Read

1 फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) अपना पांचवां बजट (Budget 2023) पेश करने जा रही हैं. बजट 2023, मोदी सरकार के वर्तमान कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट होगा. बजट में क्या एलान होंगे, इसका इंतजार सभी को बेसब्री से रहता है. टैक्स के मामले में क्या राहतें दी जाएंगी, या क्या नई घोषणाएं होंगी, या क्या इजाफा होगा, इस पर भी सभी की निगाह रहती है. जब टैक्स की बात होती है तो यह जानना जरूरी है कि टैक्स दो प्रकार का होता है- डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स. बजट में इनसे जुड़े ऐलानों को समझने से पहले यह समझना जरूरी है कि आखिर इन दोनों में अंतर क्या है....

प्रत्यक्ष कर (डायरेक्ट टैक्स)

डायरेक्ट टैक्स वह कर है, जो एक व्यक्ति की ओर से सरकार को सीधे तौर पर भुगतान किया जाता है. चूंकि इसे करदाता पर सीधे सरकार द्वारा लगाया जाता है, इसलिए इसे किसी अन्य एंटिटी या व्यक्ति को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है. कर देनदारी/कर का दबाव और कर का बोझ केवल एक ही और उसी व्यक्ति पर होता है. किसी भी व्यक्ति और संस्थानों की आय और उस आय के सोर्स पर लगने वाला इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स; डायरेक्ट टैक्स के तहत आते हैं.

डायरेक्ट टैक्स के प्रकारों की डिटेल

आयकर: आयकर यानी इनकम टैक्स, वेतनभोगी और सेल्फ इंप्लॉइड व्यक्तियों की ओर से भुगतान किया जाने वाला एक सामान्य कर है. आयकर, व्यक्ति/एंटिटीज, संस्थानों की विभिन्न सोर्सेज से होने वाली आय पर लगता है. भारत में 2.5 लाख रुपये तक की सालाना आय आयकर के दायरे से बाहर है. इसके बाद, मौजूदा टैक्स ब्रैकेट्स के आधार पर कर देना होता है. कर कितना होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति/संस्थान किस टैक्स ब्रैकेट में आता है. हालांकि कुछ आय को टैक्स से छूट है और करदाताओं के लिए टैक्स डिडक्शंस भी मौजूद हैं.

कॉरपोरेट टैक्स: कॉरपोरेट टैक्स भारत में कंपनियों और व्यवसायों के मुनाफे पर लगाया जाता है. यह कर उन विदेशी कंपनियों पर भी लागू होता है, जिन्हें आय भारत से हो रही है. उन्हें, भारत सरकार को भारत से होने वाली आय पर ही टैक्स देना होता है.

कैपिटल गेन्स टैक्स: प्रॉपर्टी, ज्वैलरी, शेयरों की बिक्री से होने वाली आय पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है. कैपिटल गेन्स दो प्रकार के होते हैं, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG). करदाता पर कौन सा कैपिटल गेन्स लागू होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि बेचा जाने वाला एसेट्स उसके पास कितने वक्त तक रहा. कैपिटल गेन के टाइप के आधार पर कर की दर तय होती है.

अप्रत्यक्ष कर (इनडायरेक्ट टैक्स)

इनडायरेक्ट टैक्स उत्पादित वस्तुओं और आयात-निर्यात वाले सामानों पर उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी), सीमा शुल्क और सेवा शुल्‍क के माध्यम से लगता है. व्यापार कर, सेवा कर, चुंगी कर, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क, मनोरंजन शुल्क जैसे कर इनडायरेक्ट टैक्स में आते हैं. इनडायरेक्ट टैक्स में कर का दबाव और कर बोझ अलग-अलग व्यक्तियों पर होता है. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि इनडायरेक्ट टैक्स, सप्लाई चेन (आम तौर पर कोई उत्पादक या रिटेलर) में किसी एक एंटिटी द्वारा कलेक्ट किया जाता है और सरकार को भुगतान किया जाता है लेकिन वस्तु या सेवा की फाइनल खरीद कीमत के हिस्से के रूप में इसे उपभोक्ताओं पर डाल दिया जाता है.

सभी तरह के इनडायरेक्ट टैक्सेज को GST में समाहित कर दिया गया है. सरकार द्वारा 1 जुलाई 2017 को वस्तु और सेवा कर (GST) पेश किया गया था, जिसमें सभी प्रकार के अप्रत्यक्ष कर शामिल थे. वर्तमान में शराब और पेट्रोलियम प्रॉडक्ट, जीएसटी के दायरे से बाहर हैं.

शराब और पेट्रोलियम प्रॉडक्ट पर कौन सा टैक्स

देश में शराब और पेट्रोलियम प्रॉडक्ट, जीएसटी के दायरे से बाहर हैं. इन पर अभी भी सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, वैट और सीमा शुल्क लागू होते हैं. सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी देश की सीमा के भीतर बनने वाले सभी उत्पादों पर लगने वाले टैक्‍स को एक्‍साइज ड्यूटी या सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी कहते हैं. सीमा शुल्क उन वस्तुओं पर लगता है, जो देश में आयात की जाती हैं या फिर देश के बाहर निर्यात की जाती हैं. जहां तक वैट की बात है तो एक दुकानदार या व्यवसायी आयकर का भुगतान करता है, बाद में उत्पादों और सेवाओं पर वैट के रूप में इसे ग्राहकों को पास करता है.