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एक महीने के भीतर मिले 1300 ऑर्डर, लिशस का लक्ष्य तीन साल से कम समय में भारत के 11 शहरों में मौजूद होना.

एक महीने के भीतर मिले 1300 ऑर्डर, लिशस का लक्ष्य तीन साल से कम समय में भारत के 11 शहरों में मौजूद होना.

Tuesday November 24, 2015 , 6 min Read

अभय हंजुरा के दोस्त ने एक बार ऐलान किया, ‘भारत आने पर मैं शाकाहारी बन जाता हूं.’ अभय के लिए यह सब कोई मायने नहीं रखता क्योंकि उन्हें लगता है कि भारत में सबसे अच्छे मांसाहारी व्यंजन मिलते हैं. जब उन्होंने गहराई से छानबीन की तो उन्हें इस आशंका के मुख्य कारण का पता चला कि यहां इस्तेमाल किए जाने वाले मांस की गुणवत्ता को लेकर बहुत से लोग अनिश्चित रहते हैं. अभय और उनके दोस्त ने लिशस (Licious) की शुरुआत की. कंपनी ताजा मांस की डिलिवरी करती है. हिलियन वेंचर्स के साथ उन्होंने फंड के पोर्टफोलियो, स्केल और रणनीति पर बारीकी से काम किया है. दूसरी ओर अभय Futurisk में बतौर वाइस प्रेसिडेंट काम कर रहे थे. जो कि एक जोखिम सलाहकार और कॉरपोरेट बीमा ब्रोकरेज फर्म.


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हालांकि दोनों की नौकरी आराम से चल रही थी. एक दिन अचानक अभय को ताजा मीट के क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करने का विचार आया. दरअसल यह विचार इस तथ्य से प्रेरित था कि उन्होंने जो मटन चाप और फिश स्टेक का ऑर्डर किया था उसमें स्वाद नहीं था. स्टाफ से बातचीत में उन्हें पता चला कि उन्होंने डिश को बनाने में फ्रोजन मांस का इस्तेमाल किया था. विवेक को राजी करने के लिए इस घटना ने अभय को बल दिया . अभय कहते हैं, ‘लेकिन मुझे लगता है वीसी के साथ कई सालों तक काम करते हुए विवेक ने इसे इसलिए झटक दिया क्योंकि उन्हें लगा कि यह गंभीर नहीं है.’ हालांकि अभय को पता था यह ऐसी चीज है जिस पर वे निश्चित हैं. उन्होंने यह जानने के लिए कि उपभोक्ता मांस खरीदने से पहले क्या सोचते हैं और क्या करते हैं गुड़गांव और बेैंगलोर में एक स्वतंत्र अनुसंधान शुरू किया. बाजार की पूरी जानकारी इकट्ठा करने के बाद अभय ने विवेक से उनके दफ्तर में प्रेजेंटेशन के साथ मुलाकात की. अभय कहते हैं, ‘तब विवेक समझ गए कि मैं गंभीर हूं और वहां एक शानदार अवसर है, जिसे अब तक किसी ने छुआ नहीं, जो अज्ञात और असंगठित है. जहां बदलाव का इंतजार हो रहा है. ' जब दोनों ने अपने अपने बॉस कंवलजीत सिंह और प्रवीण दास से इस विचार को साझा किया तो वे दोनों उनके पहले एंजल इनवेस्टर बनने को राजी हुए. इस जोड़ी ने अपना पहला दफ्तर दोस्त के अपार्टमेंट में खोला. अभय कहते हैं, ‘हमने यह महसूस किया हमें समस्या का हल निकालना होगा और बाजार में उपलब्धता की कोई समस्या नहीं थी. और तब जाकर हमने यह फैसला लिया कि हम ब्रांड के रास्ते पर चलेंगे और क्योंकि यह एक उपभोक्ता व्यापार है और उपभोक्ता आपके साथ जुड़े रहते अगर आप ब्रांड के वादे को पूरा करते हैं.’ इस वजह से उन्होंने बाजार में मौजूद सबसे अच्छे ब्रांड सलाहकार के साथ काम किया. frescameat, chopshop365, papabuchr और chompbox जैसे तीन सौ नाम पर माथापच्ची करने के बाद लिशिस को चुना गया. उन्होंने अग्रेगेटर के रास्ते से पूरी स्पष्टता के साथ अलग चलने और सिर्फ ताजा मांस डिलिवर करने का फैसला किया. जहां वे गुणवत्ता को लेकर सुनिश्चित थे. जोड़ी ने इस बात को भी बखूबी महसूस किया कि कोर टीम का होना बेहद जरूरी है. इसलिए जल्द ही उन्होंने विशेषज्ञों और लंबे अर्से का अनुभव रखने वालों को साथ जोड़ा. साथ ही अभय कहते हैं कि उन्होंने शुरुआती समय, बचत और ऊर्जा लगाकर मजबूत स्केलेबल बुनियादी ढांचा तैयार किया. अभय के मुताबिक, ‘देश में सबसे पहले और बड़े हाइपमार्केट में सफलतापूर्वक बैकएंड ऑपरेशन और सप्लाई चैन स्थापित करने वाले लोग हमारे एक्सपर्ट टीम के सदस्य हैं. टीम को जटिल सोर्सिंग और कोल्ड चेन प्रबंधन की गहरी समझ है. लिशस के पास अत्याधुनिक सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट है जहां उत्पाद की स्वास्थ्य के मापदंडों, सुरक्षा, पर्यावरण और गुणवत्ता के लिए प्रबंधन के नियमों का पालन किया जाता है और इसके बाद प्रोडक्शन के लिए माल को आगे भेजा जाता है जिसमें विशेषज्ञ शेफ की टीम और कुशल कसाई है जो विस्तार को ध्यान देते हैं और जिनके अंदर सफाई, स्वच्छता और मांस की कटाई की समझदारी है. इसके बाद मांस को अस्थायी कोल्ड स्टोरेज में भेजा जाता है जहां से इसे डिलिवरी केंद्रो पर भेज दिया जाता है जो बैंगलोर भर में फैले हुए हैं. उपभोक्ता किस जगह से ऑर्डर कर रहा उसको देखते हुए केंद्र का मैनेजर अंतिम मिनट क्वालिटी जांच कर उसे आगे भेजता है. फ्रेश चेन मैनेजमेंट को आखिरी मील तक बनाए रखा जाता है. अभय के मुताबिक, ‘हम आपको समझाने की कोशिश करते हैं कि हमारा माल कितना ताजा होता है. जो झींगे उसी दिन पकड़े जाते हैं वहीं हमें 24 घंटे के भीतर भेजे जाते हैं. कोचिन की सबसे बेहतरीन सीर मछली भी हमें 24 घंटे के भीतर भेज दी जाती है. वे साथ ही जोड़ते हैं कि लिशस बैंगलोर में मीट प्रेमियों को अपनी ओर खींच रहा है.

एक्टिव ऑपरेशन के शुरू होने के एक महीने के भीतर ही कंपनी ने 1300 ऑर्डर पूरे किए हैं. ये ऑर्डर माराथल्ली के डिलिवरी केंद्र से पूरे किए गए हैं. अभय कहते हैं, ‘इसने हमें आत्मविश्वास दिया है और हमने दूसरे केंद्र कमानाहल्ली से भी संचालन शुरू कर दिया है. हमने हाल ही में एंजल इनवेस्टर से निवेश पाया है और इस फंड का इस्तेमाल तीन और डिलिवरी केंद्र खोलने के लिए किया जाएगा.’ टीम ने अपने प्रारंभिक अनुसंधान में यह जाना कि भारतीय मांस बाजार 30 अरब डॉलर के करीब है. और यह भी कि भारत मांस के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है. अभय कहते हैं, 'करीब 90 फीसदी बाजार असंगठित है जबकि संगठित खिलाड़ी बाकी के बचे हिस्से पर काम कर रहे हैं. इस क्षेत्र में ज्यादातर खिलाड़ी फ्रोजन के क्षेत्र में खेल रहे हैं और संगठित खिलाड़ी ज्यादातर निर्यात से जुड़े हैं.’

वे कहते हैं बहुत से शहरी उपभोक्ता मांस के स्रोत या उसके उत्पत्ति के बारे में अनजान हैं और उन्होंने घरेलू नौकरों को इस काम का जिम्मा सौंप दिया है. जीवनशैली और समय की बाधाओं को देखते हुए कुछ और लोग फ्रोजन मांस खाने को मजबूर हैं क्योंकि उन्हें यह सुविधाजनक लगता है. वास्तव में दर्द बिंदु स्वच्छता, सुरक्षा और मांस की ताजगी है जो कि अंत में विश्वास के पहलू को बांधता है. अभय कहते हैं, 'आने वाले साल में हमारा लक्ष्य इस सेक्टर में मौजूदा इकोसिस्टम के हर कदम में मूल्य जोड़कर योजनाबद्ध तरीके से इस स्थान को व्यवस्थित करना है. सर्वश्रेष्ठ टीम को साथ लाकर हम आगे बढ़ रहे हैं, जो उपभोक्ता व्यापार मॉडल की पेचीदगियों और स्केल के महत्व को समझती है.' लिशस अगले तीन महीने में अपने फ्रंट एंड उपभोक्ता तकनीक के अगले संस्करण को लॉन्च करने की योजना बना रहा है. यही नहीं कंपनी ताजा और मसालेदार भाग में नई श्रेणी लाने की योजना बना रही है. खाने के शौकीनों के लिए दिलचस्प नए क्षेत्र को जोड़ने के बारे में भी कंपनी सोच रही है.

अभय के मुताबिक, ‘आज की तारीख से अगले तीन साल के भीतर 11 शहरों में मौजूद होने का लक्ष्य है और हम आने वाले सालों में लिशस को भारत का सबसे अधिक प्यारा खाद्य ब्रांड बनता देखना चाहते हैं.’

लेखिका-सिंधु कश्यप

अनुवाद-आमिर अंसारी