47 की उम्र में की LXME की शुरुआत, सिखा रही हैं महिलाओं को पैसे कमाना
आप कोई भी हो सकती हैं. 21 साल की युवा लड़की या 50 साल की घरेलू महिला. सबके लिए LXME के पास है सुझाव, सलाह और मदद के रास्ते.
“आज बहुत सारी महिलाएं नौकरीपेशा हैं. अपने कॅरियर को गंभीरता से लेती हैं. काम करती हैं, अपने पैसे कमाती हैं, लेकिन जब उन पैसों से जुड़े फैसलों की बात आती है तो उनका आत्मविश्वास डोल जाता है. पैसों को बचाने या उसके इंवेस्टमेंट से जुड़े फैसले वो अब भी लेने में हिचकती हैं. मैं उन महिलाओं की मदद करना चाहती थी. मैं चाहती थी कि महिलाएं सिर्फ पैसा कमाना ही नहीं, उसे बचाना और बढ़ाना भी सीखें. यहीं से शुरुआत हुई LXME की.”
ये कहना है प्रीती राठी गुप्ता का, जिन्होंने दो साल पहले सिर्फ महिलाओं के लिए एक एक्सक्लूसिव इंवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म LXME की शुरुआत की. प्रीती इसे हिंदी में लक्ष्मी कहती हैं. इस नाम की कहानी पूछने पर वह आंखों में ढेर सारी चमक भरकर कहती हैं, “धन की देवी कौन है- लक्ष्मी. हमारी सारी धन-संपदा की रक्षा वही करती हैं. मुझे लगा, जब महिलाओं को पैसे से जुड़े मामलों में एजूकेट करना हो, उन्हें सबल और स्वावलंबी बनाना हो तो लक्ष्मी से बेहतर नाम नहीं हो सकता.”
क्या है LXME?
फर्ज करिए कि आप एक 25 साल की शहरी कामकाजी महिला हैं. आपके पास अपनी नौकरी है, अच्छा कॅरियर है और आगे बढ़ने की सारी संभावनाएं हैं. आपकी अथक मेहनत से हर महीने आपके अकाउंट में ठीकठाक पैसे भी आते हैं. लेकिन जब भी पैसों से जुड़ा कोई बड़ा फैसला लेना हो तो आपको अपने विवेक और बाजार की अपनी समझ पर भरोसा नहीं होता. आप मदद के लिए किसी पुरुष का मुंह ताकती हैं.
LXME ऐसी ही महिलाओं की मदद करता है. यह एक कम्युनिटी बेस्ड फायनेंशियन प्लेटफॉर्म है, जो आपकी पैसों से जुड़ी हर समस्या का समाधान करता है और हर सवाल का जवाब देता है.
आपको कब, कहां और कितना इंवेस्ट करना चाहिए, अपना बजट कैसे बनाना चाहिए, कितना पैसा खर्च करना चाहिए और कितना बचाना चाहिए, कैसे बचाना चाहिए, एक महिला होने के नाते आपको कहां क्या अतिरिक्त लाभ मिल सकता है. इन सारे सवालों का जवाब LXME के पास है.
आप कोई भी हो सकती हैं. 21 साल की युवा लड़की, जिसने अभी-अभी पहली नौकरी ज्वॉइन की है या 50 साल की घरेलू महिला, जिसने आर्थिक आत्मनिर्भरता का पाठ बहुत देर से सीखा है. सबके लिए LXME के पास सुझाव, सलाह और मदद के रास्ते हैं.
18 की उम्र में शादी और कॅरियर पर लगा ब्रेक
प्रीती का जन्म एक उच्च-मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था. 13 साल की उम्र तक वो दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और गुजरात के एक छोटे कस्बे वरवल में रहीं. इतनी कम उम्र में ही उनका विभिन्न शहरों, समाजों और संस्कृतियों से परिचय हो गया था.
वो बचपन से पढ़ाई में तेज थीं, लेकिन 17 साल की उम्र से ही परिवार में उनकी शादी की बात चलने लगी. 18 साल में सगाई हुई और 19 पूरा होने से पहले ही शादी हो गई. हालांकि अपना कॅरियर बनाने, जीवन में कुछ बनने की लगन तो प्रीती में ऐसी थी कि शादी से ठीक पहले तक कॉलेज के बाद वो एक फर्म में जाकर स्टॉक एक्सचेंज का काम सीखने लगी थीं. टैली तब नया-नया आया था. वो रोज क्लास के बाद वहां जाती और 3-4 घंटे काम करतीं.
कॅरियर के प्रति ये लगन तुरंत तो कॅरियर में तब्दील नहीं हो पाई. शादी के तुरंत बाद एक बच्चे का जन्म हुआ और कॅरियर पर लंबे समय के लिए लगाम लग गई. इस ओर प्रीती का लौटना बहुत देर से हुआ, लेकिन जब वो लौटीं तो पूरे दमखम के साथ. इतने सालों का बैकलॉग भी तो था भरने के लिए.
शादी के बाद प्रीती को काम करने की इजाजत नहीं मिली थी. घर में सब एक ही बात कहते थे, “परिवार पर ध्यान दो, पति को खुश रखो.” प्रीती के पति स्टॉक ब्रोकर बनना चाहते थे. प्रीती में स्टॉक्स की दुनिया की समझ भी थी और लगन भी. उन्होंने अपने पति की मदद की और दोनों ने मिलकर 1994 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज डेस्क की शुरुआत की. बाद में उनके पिता और पति दोनों की कंपनियां आपस में मर्ज हो गईं और नई फर्म बनी- ‘आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स लिमिटेड.’ आज प्रीती उस फर्म में मैनेजिंग डायरेक्टर और प्रमोटर हैं, लेकिन बहुत साल तक उन्होंने बैकग्राउंड में रहकर पर्दे के पीछे से ही काम किया है.
बच्चों की पढ़ाई पूरी होने के बाद किया हार्वर्ड जाने का फैसला
शादी के बाद प्रीती ने मुंबई के एच.आर. कॉलेज ऑफ साइंस एंड कॉमर्स से बी.कॉम पूरा किया था. फिर बच्चों और घर की जिम्मेदारी के बीच पढ़ाई रुक गई. जब प्रीती ने आनंद राठी फर्म में काम करना शुरू किया तो उन्हें लगा कि उनके आसपास बहुत सारे लोगों के पास बड़ी-बड़ी डिग्रियां थीं. उनके कजिन यूएस से डिग्रियां लेकर आ रहे थे.
प्रीती ने वापस पढ़ने का फैसला लिया. 2003 में उन्होंने एस.पी. जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली. 2014 में उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल जाकर पढ़ने का फैसला किया. प्रीती जब हार्वर्ड पढ़ने जा रही थीं तो उनकी बेटी भी उस वक्त कॉलेज में थी. लोग तो बातें बनाते ही हैं. बच्चों के कॅरियर पर ध्यान देने की उम्र में ये खुद पढ़ने का क्या चस्का लगा है. लेकिन प्रीती को चस्का नहीं धुन सवार थी.
हार्वर्ड से वापसी और LXME की शुरुआत
हार्वर्ड में भी प्रीती की बहुत सारी लड़कियों और महिलाओं से मुलाकात हुई. वहां दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से आई हुई लड़कियां थीं. प्रीती कहती हैं, “मुझे लगा कि यह समस्या सिर्फ भारत में नहीं है. पूरी दुनिया में महिलाएं अपने पैसे और उससे जुड़े फैसलों को लेकर आत्मविश्वास नहीं महसूस करतीं. वो समझदार होती हैं और ज्यादा रिस्क नहीं लेतीं, लेकिन बात सिर्फ इतनी नहीं है. वो डरती भी हैं.”
प्रीती कहती हैं कि LXME जैसे किसी प्लेटफॉर्म का आइडिया मेरे दिमाग में बहुत समय से चल रहा था. बहुत अपने पति की फर्म में काम करने के दौरान भी मेरी बहुत सारी महिलाओं से मुलाकात होती थी, जो फायनेंशियल मैटर्स में उतनी ही कनफ्यूज रहती थीं.
सिर्फ महिलाओं के लिए ही क्यों?
एक बार LXME का आइडिया ठोस रूप लेने लगा तो प्रीती ने सैकड़ों महिलाओं से मुलाकात की और उनके सवाल और समस्याएं जानने की कोशिश की. उन्होंने ऐसे ढेर सारे सवालों की एक लिस्ट बनाई, जो महिलाएं पूछना चाहती थीं, लेकिन उनके पास कोई ऐसी भरोसेमंद जगह नहीं थी, जहां वह जा सकतीं, सवाल कर सकतीं.
प्रीती कहती हैं, “बहुत सी महिलाएं कहतीं कि उन्हें सवाल पूछने में इसलिए डर लगता है कि उन्हें जज किया जाएगा. लोग उन्हें मूर्ख समझेंगे कि उन्हें इतना भी नहीं आता.” इसलिए मुझे लगा कि एक ऐसी जगह होनी चाहिए, जहां महिलाओं को जजमेंट का डर न सताए. वो खुलकर कोई भी सवाल पूछ सकें, चाहे वह कितना मामूली सवाल क्यों न हो. उन्हें मूर्ख समझे जाने या मजाक उड़ाए जाने का
डर न हो.
फिल्म प्रोडक्शन कंपनी की शुरुआत
फायनेंस के साथ-साथ प्रीती में क्रिएटिव टैलेंट भी है, जिसके बारे में वो कहती हैं, “पैसे की समझ मुझे अपने पिता से और क्रिएटिविटी अपनी मां से मिली.” 2014 में प्रीती ने एक फिल्म प्रोडक्शन कंपनी की शुरुआत की. सिनेमा और किस्सागोई के प्रति उनका रूझान पहले भी था. प्रीती कहती हैं, “मुझे कहानी कहने की कला बहुत आकर्षित करती थी.” उनकी फिल्म प्रोडक्शन कंपनी की पहली फिल्म थी वेटिंग. नसिरुद्दीन शाह और कल्कि कोचलेन मुख्य भूमिकाओं में थे. इस फिल्म को खूब सराहना मिली. प्रीती सिर्फ इस फिल्म की प्रोड्यूसर भर नहीं थीं. वो कहानी के प्लॉट, स्क्रिप्ट डेवलपमेंट में भी हिस्सेदार थीं.
सेल्फ इंवेस्टमेंट की सलाह
प्रीती कहती हैं कि मनी इंवेस्टमेंट के साथ-साथ महिलाओं को सबसे गंभीरता से जो सबक सीखने की जरूरत है, वो है सेल्फ इंवेस्टमेंट का सबक. फायनेंशियल मैटर से जुड़े सवाल पूछते हुए भी औरतें ज्यादातर यही पूछती हैं कि अपने बेटी के लिए कैसे सेव करूं, अपने माता-पिता को हॉलीडे पर कहां लेकर जाऊं. अपनों के लिए सोचना अच्छी बात है, लेकिन मुझे लगता है कि महिलाओं को थोड़े सवाल अपने लिए भी पूछने चाहिए. थोड़ा इंवेस्टमेंट खुद पर भी करना चाहिए. थोड़ा प्यार खुद से भी करना चाहिए. थोड़ा ध्यान खुद पर भी देना चाहिए.