Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

हेट स्पीच: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को पौरूषहीन और शक्तिहीन क्यों कहा?

जस्टिस केएम जोसेफ ने सुनवाई के दौरान अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, हम अवमानना की याचिका पर सुनवाई इसलिए कर रहे हैं क्योंकि राज्य समय पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य पौरूषहीन, शक्तिहीन हो गए हैं और समय पर कार्रवाई नहीं करते हैं.

हेट स्पीच: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को पौरूषहीन और शक्तिहीन क्यों कहा?

Thursday March 30, 2023 , 5 min Read

हेट स्पीच से जुड़े मामलों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बार फिर से इस बात पर चिंता जताई कि हेट स्पीच के मामलों पर संस्थाएं कार्रवाई नहीं कर रही हैं.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस केएम जोसेफ ने सुनवाई के दौरान अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, हम अवमानना की याचिका पर सुनवाई इसलिए कर रहे हैं क्योंकि राज्य समय पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य पौरूषहीन, शक्तिहीन हो गए हैं और समय पर कार्रवाई नहीं करते हैं. अगर राज्य चुप है, तो हमारे पास राज्य होने ही क्यों चाहिए.

जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की खंडपीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रैलियों के दौरान नफरती भाषणों पर कार्रवाई करने में महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों की कथित विफलता के लिए उन पर अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई थी.

इससे पहले बेंच ने सकल हिंदु समाज द्वारा निकाली गई यात्रा के संबंध कई दिशानिर्देश जारी किए थे. उससे पहले बेंच ने अधिकारियों को आरोपी के धर्म को ध्यान में रखे बिना और बिना किसी शिकायत का इंतजार किए हुए स्वत: संज्ञान लेते हुए हेट स्पीच के मामलों पर कार्रवाई करने के लिए दिशानिर्देश जारी किया था.

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए बुधवार को वकील निजाम पाशा ने अदालत को बताया कि इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक खबर के आधार पर अवमानना की याचिका दाखिल की गई है. इस खबर में महाराष्ट्र में पिछले महीनों में 50 रैलियों का उल्लेख किया गया जिसमें हेट स्पीच दिए गए थे.

सुप्रीम कोर्ट और सॉलिसिटर जनरल में हुई गर्मागर्म बहस

सुनवाई के दौरान न्यायालय और मेहता के बीच गर्मागर्म बहस हुई. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि तमाम लोगों ने हिन्दू समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हेट स्पीच दिए हैं और ऐसे बयानों पर की गई कार्रवाई के संबंध में राज्यों से रिपोर्ट मांगते समय अदालत ‘चुनिंदा रवैया’ नहीं अपना सकती है.

उन्होंने अदालत से पूछा कि उसने ऐसे मामलों में स्वत: संज्ञान क्यों नहीं लिया है और ये भाषण जब सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं तो वह राज्य सरकारों को इसके लिए जवाबदेह क्यों नहीं ठहरा रहा है.

लोगों से धैर्य रखने को कहते हुए जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्न की पीठ ने हेट स्पीच को दुष्चक्र बताया और कहा कि यह (हेट स्पीच) महत्वहीन लोगों द्वारा दिए जा रहे हैं.

पीठ ने कहा, ‘‘हेट स्पीच दुष्चक्र की तरह हैं. एक व्यक्ति पहले (भाषण) देगा, फिर दूसरा व्यक्ति देगा. जब हमारा संविधान बना था, तब ऐसे भाषण नहीं होते थे. कुछ संयम होना चाहिए. राज्य द्वारा कुछ ऐसी प्रक्रिया विकसित करने की जरूरत है कि हम इस तरह के बयानों पर लगाम लगा सकें.’’

बहस से पहले मेहता ने केरल में एक विशेष समुदाय के खिलाफ दिए गए आपत्तिजनक भाषण पर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला ने चयनात्मक तरीके से हेट स्पीच के मामले को इंगित किया है.

मेहता ने तमिलनाडु में द्रमुक के एक नेता द्वारा दिए गए भाषण का संदर्भ दिया और पूछा कि केरल निवासी याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी याचिका में दोनों राज्यों को पक्षकार क्यों नहीं बनाया है.

मेहता ने कहा, ‘‘हमने एक समुदाय के खिलाफ दिए गए कुछ ऐसे भाषण खोजे हैं जिन्हें इस याचिका में शामिल किया जाना चाहिए था. द्रमुक पार्टी के नेता कहते हैं… और फिर कृपया केरल की क्लिप को सुनिए. यह आश्चर्यचकित करने वाला है और इसे अदालत की अंतररात्मा को भी झकझोर देना चाहिए. इस क्लिप में एक बच्चे से ऐसा कहलवाया गया है. हमें चिंतित होना चाहिए.’’

भाषणों के संदर्भ में अदालत ने कहा, ‘‘प्रत्येक क्रिया समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है.’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम संविधान का पालन कर रहे हैं और प्रत्येक मामले में आदेश कानून के शासन के ढांचे में ईंट की तरह है. हम अवमानना की याचिका पर सुनवाई इसलिए कर रहे हैं क्योंकि राज्य समय पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य पौरूषहीन, शक्तिहीन हो गए हैं और समय पर कार्रवाई नहीं करते हैं. अगर राज्य चुप है, तो हमारे पास राज्य होने ही क्यों चाहिए.’’

इस पर एसजी तुषार मेहता ने जवाब दिया, ‘‘यह किसी राज्य के बारे में नहीं कह सकता हूं, लेकिन केन्द्र (चुप) नहीं है. केन्द्र ने पीएफआई को प्रतिबंधित किया है कृपया केरल राज्य को नोटिस जारी करें, ताकि वे इसका जवाब दे सकें.’’

जब न्यायालय ने मेहता से अपनी दलील जारी रखने को कहा तो उन्होंने आगे कहा, ‘‘कृपया ऐसा ना करें. इसका विस्तृत प्रभाव होगा. हम क्लिप को देखने से सरमा क्यों रहे हैं? न्यायालय मुझे भाषणों का वीडियो क्लिप दिखाने की अनुमति क्यों नहीं दे सकता है? केरल को नोटिस क्यों नहीं जारी किया जा सकता है और इस याचिका में पक्ष क्यों नहीं बनाया जा सकता है. इस मामले में चयनात्मक ना हों. मैं वैसी क्लिप दिखाने का प्रयास कर रहा हूं जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है. यह अदालत इस भाषणों पर स्वत: संज्ञान ले सकती थी.’’

तुषार मेहता ने कहा कि पीठ किसी एक राज्य जैसे महाराष्ट्र में हेट स्पीच को छांट कर उसपर कार्रवाई नहीं कर सकती है और अन्य राज्यों जैसे केरल और तमिलनाडु में इनको नजरअंदाज नहीं कर सकती है.

पीठ ने कहा, ‘‘इसे ड्रामा नहीं बनाएं. यह कानूनी प्रक्रिया है. वीडियो क्लिप को देखने की प्रक्रिया है. यह सभी पर समान रूप से लागू होता है. अगर आप (मेहता) चाहते हैं, आप इसे अपने रिकॉर्ड में शामिल कर सकते हैं.’’

अदालत ने मामले पर सुनवाई के लिए 28 अप्रैल की तिथि तय की है.

यह भी पढ़ें
मुकेश अंबानी ने एक और दिवालिया कंपनी खरीदी, जानिए कितने का हुआ सौदा