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फास्ट डिलीवरी का तेजी से बढ़ रहा कल्चर, भविष्य की नींव हैं एक्सप्रेस सेवाएं, समय की होती है बचत

जब बात ग्रॉसरी डिलीवरी की आती है तो सब चाहते हैं कि 10 मिनट में सामान घर आ जाए. इसी तरह बिजनस में भी कारोबारी जल्दी सामान की डिलीवरी चाहते हैं. ऐसे में एक्सप्रेस सेवाएं भी तेजी से पॉपुलर हो रही हैं.

फास्ट डिलीवरी का तेजी से बढ़ रहा कल्चर, भविष्य की नींव हैं एक्सप्रेस सेवाएं, समय की होती है बचत

Thursday November 17, 2022 , 5 min Read

आज के दौर में लोग हर चीज की डिलीवरी जल्द से जल्द चाहते हैं. इसी वजह से 10 मिनट में ग्रॉसरी डिलीवरी के कॉन्सेप्ट को लोगों की तरफ से खूब सराहा गया है. तेजी से भागते समय के साथ कदम से कदम मिलाने के लिए आज हर चीज की स्पीड बढ़ गई है. कूरियर सेवाओं में भी अब लोग चाहते हैं कि उनके प्रोडक्ट जल्द ही से जल्दी डेस्टिनेशन तक पहुंच जाएं. ऐसे में तमाम बिजनस में एक्सप्रेस सेवाओं का स्कोप काफी बढ़ गया है, ताकि उनके कारोबार से जुड़े सामान जल्द से जल्द दूसरी जगह पहुंच सकें.

आज के डिजिटल युग में दूरी कोई महत्व नहीं रखती, महत्व है तो समय का. कम से कम समय और कम से कम खर्चे में कहीं जाना या कोई सामान पहुँचाना ही एक्सप्रेस सेवा का मूल उद्देश्य है. एक्सप्रेस सेवाएं ही आज और आने वाले कल का सुनहरा भविष्य हैं. बदलते इंफ्रास्ट्रक्चर, मजबूत सड़कों और मोदी सरकार के मजबूत इरादों ने एक्सप्रेस गति से बढ़ते हुए नए भारत की नींव रखी है. हाल ही में नेशनल लॉजिस्टिक्स पालिसी के उद्घाटन समारोह में पीएम मोदी ने एक्सप्रेस इंडस्ट्री की ओर इशारा करते हुए ये कहा था कि इस पॉलिसी के लागू होने के बाद भारत की लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री चीते की रफ़्तार से दौड़ेगी.

आइये एक्सप्रेस सेवाओं को विस्तार से समझने के लिए एक उदाहरण का सहारा लेते है. मान लीजिए आपको कोई सामान दिल्ली से मुंबई भेजना है. इसके लिए आप तीन माध्यमों का प्रयोग कर सकते हैं, वो हैं कार्गो ट्रेन, ट्रक ट्रांसपोर्टेशन या एयर कार्गो (कार्गो फ्लाइट). इन सभी में आप को ये ध्यान देने की आवश्यकता है कि आपका सामान सबसे तेज और सबसे सुरक्षित तरीके से कौन से माध्यम से पहुंचेगा और कौन सा माध्यम पॉकेट फ्रेंडली यानी आपके बजट में रहेगा. अपने बजट के अंदर में और तीव्र गति से सामान को पहुचाँने में भी कई चीजें ध्यान में रखनी पड़ती हैं, जैसे कि भेजे जाने वाले सामान का वजन कितना है और वो नाजुक या आसानी से टूट जाने वाला सामान तो नहीं है. अगर नाजुक है तो उसकी पैकेजिंग सही तरीके से की गई है या नहीं. इन सभी चीज़ों को ध्यान में रखते हुए और पेचीदा उलझनों से बचते हुए आपको हमेशा एक्सपर्ट सलाह पर जाना चाहिए.

सबसे जरूरी बात है एक्सप्रेस सर्विस प्रदाता की विश्वसनीयता और उसका नेटवर्क, जिसमें विशेष रूप से वेयरहाउसिंग नेटवर्क आता है, जहाँ बड़े उद्योगों का सामान इन्वेंट्री के रूप में रहता है. ये इन्वेंट्री जरूरत के हिसाब से घटती-बढ़ती रहती है. इन्वेंट्री जितनी कम होगी, खर्चे उतने कम होंगे और जब खर्चे कम होंगे तो जाहिर सी बात है कि लागत में भी कमी आएगी. आज उद्योग और व्यापार मंत्रालय, पीएमओ और सभी अन्य सम्बंधित 6 मंत्रालय एक साथ कनेक्टेड हैं. यूलिप के द्वारा और सभी की कोशिश है कि भारत देश की लॉजिस्टिक्स लागत एकल डिजिट में आ जाए, जो अभी दो डिजिट में चल रही है. एक सुगठित और व्यवस्थित वेयरहाउसिंग नेटवर्क, एक्सप्रेस सेवा प्रदाता की विशिष्टता का प्रमाण है. जिस एक्सप्रेस सेवा प्रदाता के पास पूरे देश में खुद का वेयरहाउसिंग नेटवर्क और खुद का ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क है वही सही मायने में इस इंडस्ट्री में बदलाव ला सकता है. ओम लॉजिस्टिक्स भी एक्सप्रेस सेवाएं देने वाली एक कंपनी है, जो तेजी से सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा रही है और कारोबारियों का बहुत सारा समय बचाने के साथ-साथ इंडस्ट्री में बदलाव ला रही है.

मोदी सरकार ने अपने दोनों कार्यकाल में लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री के लिए कई महत्त्वपूर्ण फैसले लिए हैं, जिनमें प्रमुख हैं नाका - चुंगी का टोल खत्म करना और जीएसटी को लागू करना. दोनों ही फैसले काफी महत्वपूर्ण रहे हैं और इन फैसलों ने लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री की न सिर्फ गति बढ़ाई है बल्कि नई आत्मशक्ति भी दी है. अभी पिछले ही साल गतिशक्ति योजना का उद्घाटन करके पीएम मोदी ने लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री के विकास के नए आयाम भी खोले हैं. भारत सरकार डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर भी तेजी से काम कर रही है और जल्द ही ये हम सबके सामने होगा. ये योजना काफी समय से अपेक्षित है और इसके जल्द ही पूरा होने की सम्भावना है. इस योजना से ट्रेन कार्गो के परिचालन में अभूतपूर्व तेजी आएगी और इसका फायदा आम व्यक्तियों से लेकर बड़े - बड़े उद्योगों को भी होगा.

साधारण ट्रांसपोर्टेशन में सामान जहाँ चार से पांच दिन में पहुंचाया जाता है, एक्सप्रेस सर्विस में उसी सामान को एक से दो दिन में पहुंचाते हैं और ये समय सीमा शहरों की दूरी के आधार पर निर्धारित की जाती है. आमतौर पर एक्सप्रेस सेवाओं को प्रति 100 किलो के हिसाब से निर्धारित किया जाता है, लेकिन अलग-अलग सेवा प्रदाताओं में ये अलग-अलग हो सकता है. अगर आप देखें तो कुरियर से भी स्पीड डिलीवरी की जाती है पर ये काफी छोटे पैमाने पर की जाती हैं. डोर टू डोर एक्सप्रेस सेवाएं आज के समय की आवयशकताएँ हैं.

(लेखक एक्सप्रेस सेवा प्रदाता कंपनी ओम लॉजिस्टिक्स में निदेशक राघव सिंघल हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं, YourStory का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)


Edited by Anuj Maurya