Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

'Manas and People' फिल्म ने जीता सर्वश्रेष्ठ पर्यावरण फिल्म के लिए 2022 का नेशनल अवॉर्ड

'Manas and People' फिल्म ने जीता सर्वश्रेष्ठ पर्यावरण फिल्म के लिए 2022 का नेशनल अवॉर्ड

Tuesday July 26, 2022 , 2 min Read

68वीं राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड्स (National Film Awards) में 'मानस एंड पीपल' (Manas and People) शीर्षक वाली गैर-फीचर फिल्म को 'सर्वश्रेष्ठ पर्यावरण फिल्म' (best documentary on environment) के रूप में चुना गया है. प्रकृति के साथ मानवीय रिश्तों की कहानियों को दर्शाने वाली 'मानस एंड पीपल' फिल्म निदेशालय, मानस नेशनल पार्क और आरण्यक द्वारा बनाई गई है.

मानस नैशनल पार्क असम में है जो एक संरक्षण परिदृश्य भी है जिसे यूनेस्को ने अपनी विश्व धरोहर की लिस्ट में भी शामिल किया है. यह बाघ और हाथी का बायोस्फीयर रिजर्व भी है. मानस प्रकृति संरक्षण उद्यान जैव विविधताओं से लैश एक कमाल की जगह है जहां विश्व स्तर पर संकटग्रस्त 28 स्तनधारी प्रजातियां, पक्षियों की 37 संकटग्रस्त प्रजातियां और 600 से अधिक फूलों की प्रजातियों पायी जाती हैं. बस इतना ही नहीं, यह पूरे क्षेत्र को पीने योग्य पानी और स्वच्छ हवा के लिए पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का केंद्र भी है.

मानस के बचाने में, इसके पुनरुद्धार में आरण्यक नामक एनजीओ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. मानस की जैव विविधता, वहां से जुड़े वन्यजीव अनुसंधान की रक्षा और मानस से वहां के स्थानीय समुदायिक जुड़ाव बनाए रखने में भी आरण्यक की बहुत अहम् भूमिका रही है. बता दें, यह उद्यान वहां के आस-पास और सीमान्त गाँव में रहने वालों कई लोगों के लिए जीवन यापन प्रदान करता है. ऐसे में, यह जरुरी हो जाता है कि पार्क पर आश्रित लोगों के लिए वैकल्पिक आय-स्त्रोतों को ढूंढकर पार्क पर उनकी निर्भरता कम की जाए, आरण्यक इस पहल में भी अग्रणी भूमिका में है. फिल्म में इन्हीं कश्मकश को दिखाया गया है. प्रक्रति पर अपनी निर्भरता कम करने की प्रक्रिया में किन भावनाओं से गुजरते हैं खासकर तब जब प्रक्रति ही हमारी सांस्कृतिक विरासत भी हो जिसकी वजह से उसके साथ हमारे रिश्ते सिर्फ निर्भरता के भी नहीं रह जाते हैं. मानस की समृद्ध जैव विविधता और समृद्ध विरासत के संरक्षण के लिए कई प्रथाओं को भी फिल्म में दिखाया गया है. क्योकि उसके आस-पास रहने वाले लोगों का मानना है कि मानस की सुरक्षा उनकी संस्कृति में ही निहित है.

यह फिल्म एक कोलाबोरेटिव एफर्ट का नतीजा है जिसमें आरण्यक की टीम, मानस राष्ट्रीय उद्यान प्राधिकरण और परिदृश्य के लोग, निर्देशक दीप भुइयां और फिल्म के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ जयंत कुमार सरमा और उनकी टीम के प्रयासों का नतीजा है जिसे 68वें राष्ट्रीय फिल्म में 'सर्वश्रेष्ठ पर्यावरण फिल्म' का पुरस्कार मिला है.