Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

45 साल पुराने ब्रांड Thums Up की कहानी, Parle से कैसे गई Coca-Cola की झोली में

पहले थम्स अप की स्पेलिंग Thumbs Up रखने का प्लान था लेकिन फिर नाम को यूनीक बनाने के लिए नाम में से b हटा दिया गया और यह Thums Up रह गया.

45 साल पुराने ब्रांड Thums Up की कहानी, Parle से कैसे गई Coca-Cola की झोली में

Thursday March 23, 2023 , 8 min Read

मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries Limited) की सब्सिडियरी रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (RCPL) ने कैंपा कोला को फिर से पेश करने की घोषणा की है. साल 2022 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कैंपा ब्रांड को प्योर ड्रिंक्स ग्रुप (PURE DRINKS GROUP) से कथित तौर पर 22 करोड़ रुपये में खरीदा था. कैंपा कोला की रीएंट्री से एक बार फिर भारत का सॉफ्ट ड्रिंक मार्केट चर्चा में आ गया है. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे कोल्ड ड्रिंक ब्रांड की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसकी शुरुआत तो भारतीय ब्रांड के तौर पर हुई थी लेकिन आज यह अमेरिकी कंपनी का प्रॉडक्ट है. हम बात कर रहे हैं थम्स अप की....

थम्स अप को पारले बिसलेरी ने 1977-78 में लॉन्च किया था. वही बिसलेरी जो भारत में आई और 1969 में पारले ने इसे खरीद लिया. आगे चलकर हाउस ऑफ पारले तीन अलग-अलग कंपनियों में बंट गई- पारले प्रॉडक्ट्स, पारले एग्रो और पारले बिसलेरी. वर्तमान में पारले बिसलेरी ही बिसलेरी इंटरनेशनल के नाम से जानी जाती है.

थम्स अप की लॉन्चिंग की कहानी कुछ यूं रही कि साल 1949 में भारत में कोका-कोला ने पहली बार एंट्री की. कोका-कोला ने भारत के मुंबई बेस्ड PURE DRINKS GROUP के साथ मिलकर भारतीय बाजार में प्रॉडक्ट उतारे थे. प्योर ड्रिंक्स ग्रुप, भारत में कोका-कोला का बॉटलिंग प्लांट चलाता था. अमीरों से होते हुए धीरे-धीरे कोका-कोला का चस्का आम लोगों की जुबान पर भी चढ़ गया. 1971 आते-आते कोका-कोला की पैठ भारतीय बाजार में काफी मजबूत हो चुकी थी. PURE DRINKS ग्रुप 1970 के दशक तक कोका-कोला का एकमात्र निर्माता और वितरक था. लेकिन कोल्ड ड्रिंक बनाने के लिए जो कॉन्सन्ट्रेटर इस्तेमाल किया जाता था वह कोका कोला के अमेरिकी प्लांट से ही बनकर आता था. द प्योर ड्रिंक्स ग्रुप और कैंपा बेवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड ने लगभग 20 वर्षों तक पूरे भारतीय सॉफ्ट ड्रिंक इंडस्ट्री पर अपना दबदबा बनाए रखा.

फिर कोका-कोला भारत से हुई एग्जिट

इसके बाद आया साल 1973, जब इंदिरा गांधी सरकार ने The Foreign Exchange Regulation Act यानी FERA पास किया. इसके तहत हर कंपनी को RBI से हर तीन महीने बाद अपना इम्पोर्ट लाइसेंस रिन्यू करवाना था. एक्ट के तहत किसी भी विदेशी कंपनी को भारत में काम करने के लिए 2 शर्तें पूरी करनी जरूरी थीं. पहली, कंपनी के 60% शेयर किसी भारतीय कंपनी के नाम करना और दूसरी, सहयोगी भारतीय कंपनी के साथ अपने प्रॉडक्ट का सीक्रेट फॉर्मूला शेयर करना. इसके चलते कोका-कोला को भी अपना सीक्रेट फॉर्मूला शेयर करना था, जो उसे मंजूर न था. कंपनी ने सीक्रेट फॉर्मूला देने से इनकार कर दिया. दिसंबर 1976 में कोका कोला को अपना आखिरी इम्पोर्ट लाइसेंस मिला और उसके बाद अप्रैल 1977 में सरकार बदल गई. अब देश में मोरारजी देसाई सरकार थी और इसने सीक्रेट फॉर्मूला शेयर न किए जाने के कारण कोका कोला को लाइसेंस देने से मना कर दिया. लिहाजा कोका कोला को भारत से अपना बिजनेस समेटना पड़ा.

फिर पारले ने उतारी थम्स अप

कोका कोला के भारत से बाहर जाने के बाद पारले ने 1977-78 में थम्स अप को लॉन्च किया. पारले द्वारा थम्स अप का फॉर्मूला विकसित करने के बाद इसकी कई बार टेस्टिंग हुई. कंपनी यह भी चाहती थी कि उसकी ड्रिंक आइस-कोल्ड न होने के बावजूद भी फिजी रहे ताकि वेंडर्स इसे बेच सकें. काफी टेस्टिंग व एक्सपेरिमेंटेशन के बाद पारले के चौहान भाइयों व उनकी रिसर्च टीम ने ऐसा कोला तैयार कर लिया, जो कोका-कोला से ज्यादा फिज और स्पाइस वाला था.

पहले थम्स अप की स्पेलिंग Thumbs Up रखने का प्लान था लेकिन फिर नाम को यूनीक बनाने के लिए नाम में से b हटा दिया गया और यह Thums Up रह गया. जब थम्स अप आई, उस वक्त पारले कंपनी पहले से लिम्का और गोल्ड स्पॉट को उतार चुकी थी और ये पॉपुलर भी थे. जल्द ही थम्स अप भारत में मोस्ट पॉपुलर कोला ब्रांड बन गया. 1980 के दशक में थम्स अप का दबदबा बेहद उच्च स्तर पर पहुंच चुका था. 1970 और 80 के दशक में कैंपा कोला, थम्स अप का प्रतिद्वंदी ब्रांड रहा.

थम्स अप के इंस्टैंट हिट होने की एक वजह कम कीमत में ज्यादा क्वांटिटी मिलना रही. थम्स अप पहली ड्रिंक थी, जो 300 एमएल पैक में आई, जबकि उस वक्त बाकी ड्रिंक्स 250 एमएल में आती थीं. 300 एमएल पैक को महाकोला नाम दिया गया.

फिर कोका कोला की वापसी

उदारीकरण के बाद 1991 में नरसिम्हा राव सरकार ने भारतीय बाजार के दरवाजे दुनिया के लिए खोल दिए. फिर 1992 में कोका कोला ने भारतीय मार्केट में दोबारा कदम रख दिया. पेप्सिको 1989 में ही भारतीय बाजार में एंट्री ले चुकी थी. पेप्सी की भारत में एंट्री होने पर थम्स अप और पेप्सी में कड़ी प्रतिस्पर्धा थी. कोका कोला की फिर से भारतीय बाजार में एंट्री होने पर तीनों कंपनियों में कड़ी प्रतिस्पर्धा पैदा हो गई.

Thums Up को बाहर करने के लिए कोक का दांव

कहा जाता है कि जब कोका-कोला की भारत में रीएंट्री हुई तो उसने थम्स अप को मार्केट से बाहर करने के लिए जो तरकीब लगाई, वह थी पारले के फ्रेंचाइजी बॉटलर्स को तोड़ना. पारले देश में बॉटल मैन्युफैक्चरर्स के साथ एग्रीमेंट बेसिस पर काम कर रही थी. जब कोका कोला ने बॉटलिंग यूनिट्स को खरीदना शुरू किया तो पारले के पास अपनी ड्रिंक को पैक करने और बेचने के लिए बॉटल ही नहीं बचे. आखिरकार चौहान परिवार ने अपनी बेवरेज आर्म को कोका कोला को बेच दिया. पारले ने ही लिम्का और माजा को भी उतारा था. 1993 में Maaza, थम्स अप, लिम्का, सिट्रा और गोल्ड स्पॉट समेत पूरे सॉफ्ट ड्रिंक/कार्बोनेटड ड्रिंक पोर्टफोलियो को कोका कोला को बेच दिया.

जब अचानक मार्केट से थम्स अप होने लगी गायब

जब थम्स अप को, कोका कोला को बेचा गया तो उस वक्त थम्स अप की भारत में बाजार हिस्सेदारी 85 प्रतिशत थी. कुछ वक्त बात कोका कोला ने पाया कि थम्स अप 12-25 वर्ष के आयु वर्ग के बीच अपनी पॉपुलैरिटी खो रहा है. इस आयु वर्ग को कोर कोला-ड्रिंकिंग वर्ग माना जाता है. पहले तो कोका कोला ने थम्स अप के लिए विज्ञापन और प्रॉडक्शन कट कर दिया. 1994 की गर्मियों में अचानक से स्टोर्स से थम्स अप नदारद होने लगी. लेकिन जल्द ही कंपनी को पता चला कि थम्स अप के ग्राहक कोका-कोला पर शिफ्ट होने के बजाय प्रतिद्वंदी पेप्सी पर शिफ्ट होने लगे. उस वक्त कोक की भारतीय सॉफ्ट ड्रिंक बाजार में हिस्सेदारी 60.5 प्रतिशत थी. कंपनी ने पाया कि अगर वह थम्स अप को बाहर कर दे तो यह हिस्सेदारी केवल 28.7 प्रतिशत रह जाएगी. इसलिए कंपनी ने अपना फैसला बदलते हुए थम्स अप को रीलॉन्च किया. इस बार 30-40 आयुवर्ग के लोगों को टार्गेट रखा गया. हालांकि कोका कोला ने कभी इस बात को नहीं माना कि उसने थम्स अप को बंद करने का प्लान किया था.

इस बार थम्स अप को 'मैनली' ड्रिंक के तौर पर रीपोजिशन किया गया, जो कि इसके स्ट्रॉन्ग टेस्ट क्वालिटीज की वजह से था. इसके बाद ब्रांड का मार्केट शेयर बढ़ा. 2000 के दशक में कोका कोला ने देखा कि​ लिम्का के लिए डिमांड बहुत हाई है. इसके बाद लिम्का को भी बरकरार रखा गया. 2012 में कंपनी सिट्रा को ग्रामीण इलाकों में वापस लेकर आई.

स्पोर्ट्स से नाता

थम्स अप क्रिकेट मैचेस का बड़ा स्पॉन्सर रहा. 1980 के दशक की शुरुआत में इसने सुनील गावस्कर और इमरान खान को फीचर करते हुए कई पोस्टकार्ड भी पेश किए थे. क्रिकेट के अलावा यह ब्रांड 1980 के दशक में इंडियन मोटरस्पोर्ट का भी प्रमुख स्पॉन्सर रहा. जुलाई 2021 में थम्स अप ने ओलंपिक गेम्स में भारत की भागीदारी के 100 साल सेलिब्रेट करने के लिए 2020 समर ओलंपिक्स के साथ वर्ल्डवाइड पार्टनरशिप की घोषणा की और इंडियन ओलंपियन्स को फीचर करते हुए स्पेशल एथलीट पैकेजिंग निकाली. अगस्त 2021 में ब्रांड ने टोक्यो 2020 पैरालंपिक्स के साथ वर्ल्डवाइड पार्टनरशिप की घोषणा की. इस दौरान भी कंपनी ने स्पेशल एथलीट पैकेजिंग निकाली.

1990 के दशक के बाद से थम्स अप के विज्ञापनों में अक्षय कुमार, सलमान खान, रनवीर सिंह, चिरंजीवी, महेश बाबू, विशाल रेड्डी, विजय देवेराकोंडा, जयप्रीत बुमराह और शाहरुख खान को देखा गया. 1980 के दशक तक थम्स ब्रांड का फेमस स्लोगन 'हैप्पी डेज आर ​हीयर अगेन' था. इसके बाद स्लोगन बना 'आई वॉन्ट माई थंडर' और उसके बाद 'टेस्ट द थंडर'.

'थम्स अप माउंटेन'

महाराष्ट्र के नासिक जिले में मनमाड कस्बे में एक चोटी को 'थम्स अप माउंटेन' के नाम से जाना जाता है. मराठी में इसे 'थम्स अप डोंगर' कहते हैं. इसकी वजह है कि संयोग से इस चोटी का आकार थम्स अप के लोगो के जैसा है. यह ट्रेन से दिखता है और एक पॉपुलर साइट है. फरवरी 2012 तक थम्स अप भारत में कोला सेगमेंट में लीडर थी और इसका लगभग 42 प्रतिशत बाजार पर कब्जा था. वहीं भारतीय एयरेटेड वाटर्स मार्केट के 15 प्रतिशत पर कब्जा था. 2018 में थम्स अप ने बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल में एयरेटेड बेवरेज लॉन्च करने की घोषणा की. 2021 में थम्स अप 1 अरब डॉलर का ब्रांड बन गया.

यह भी पढ़ें
कैसे जन्मा था 45 साल पुराना ब्रांड Campa Cola, कामयाबी के अर्श पर पहुंचने और फिर फर्श पर आने की कहानी..