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‘रुक जाना नहीं’: बाड़मेर से जे.एन.यू. पहुँचने और हिन्दी मीडियम से IAS बनने की प्रेरक कहानी

आज हम इस सीरीज़ में बात करेंगे राजस्थान के रेगिस्तानी जिले बाड़मेर से निकलकर जे.एन.यू. होते हर हिंदी मीडियम लेकर UPSC में सफलता का कीर्तिमान रचने वाले सरल व सौम्य युवा IAS अधिकारी गंगा सिंह राजपुरोहित की। गंगा सिंह ने गाँव से निकलकर असफलताओं से होकर क़दम-दर-क़दम सफलता की राह बनाई और आख़िरकार अपना मुक़ाम हासिल किया। वह हिंदी मीडियम के युवाओं के प्रेरणास्त्रोत हैं। जानिए उनकी कहानी, उन्हीं की ज़ुबानी....


गंगा सिंह राजपुरोहित, IAS अधिकारी

गंगा सिंह राजपुरोहित, IAS अधिकारी


मैं राजस्थान के बाड़मेर जिले का रहने वाला हूँ। मेरा बचपन गांव में बीता और हाईस्कूल तक की पढ़ाई ग्रामीण स्कूल में हुई। परिवार में सिविल सेवा में तो कोई नहीं था, लेकिन कईं लोग विभिन्न सरकारी सेवाओं में थे। 2009 में जब मैंने दसवीं क्लास में स्कूल टॉप किया, तो मेरे शिक्षकों ने मुझे विज्ञान विषय चुनने के लिए प्रोत्साहित किया। मेरे अभिभावकों ने शुरुआत से ही मुझे स्वतंत्रता थी कि मैं अपनी रूचि का विषय पढूँ। इंटरमीडियट में मैंने जिला स्तर पर छठा स्थान हासिल किया। 


इसके बाद सबने मुझे कहा कि आपको कोटा जाकर आई.आई.टी. की तैयारी करनी चाहिए। लेकिन मैंने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर में बी.एस.सी. में दाखिला ले लिया। इसके पीछे कारण यह था कि अपनी पृष्ठभूमि के कारण मैं सरकारी शिक्षण संस्थानों और हिंदी माध्यम के साथ ज्यादा सहज था। बी.एस.सी. के अंतिम वर्ष 2014 में मैंने सिविल सेवा परीक्षा के बारे में सोचा, क्योंकि अब तक मुझे समझ आ चुका था कि यह सेवा बेहद विस्तृत प्लेटफॉर्म पर कार्य करने का अवसर प्रदान करती है। साथ ही, मेरे जैसी पृष्ठभूमि के लोगों श्री नथमल डिडेल और श्री कानाराम जी को मैंने सफल होते देखा था, तो मेरा विश्वास और सुदृढ़ हो गया।


बी.एस.सी. करने के साथ मैंने सी.डी.एस. और असिस्टेंट कमांडेंट के एग्जाम दिए एवं मुझे 2-3 बार एस.एस.बी. इंटरव्यू देने का भी मौका मिला, लेकिन उसमें सफलता नहीं मिली। ग्रेजुएशन पूरी होने के बाद मैं दिल्ली आ गया। अक्तूबर 2014 में मैंने निश्चय किया कि अगले वर्ष सिविल सेवा परीक्षा में हिस्सा लूँगा। इसी दौरान मैंने जे.एन.यू. में एम.ए. हिंदी में प्रवेश ले लिया और हिंदी साहित्य को वैकल्पिक विषय चुनकर तैयारी शुरू कर दी। पहले प्रयास में ही प्रारंभिक परीक्षा उतीर्ण होने से मेरा आत्मविश्वास काफी बढ़ गया। लेकिन पाठ्यक्रम के पूर्ण नहीं हो पाने तथा समय प्रबंधन की समस्या के कारण मैं उत्तर लेखन अभ्यास नहीं कर पाया। इस वजह से मैं मुख्य परीक्षा में महज 16 अंकों से असफल हो गया।



प्रथम प्रयास में असफलता से मैं बिल्कुल भी विचलित नहीं हुआ और मैंने अगले प्रयास के लिए कमर कस ली। जे.एन.यू. में मेरी कक्षा के साथियों के सकारात्मक सहयोग, पुस्तकालय के साथियों के मार्गदर्शन और प्रोफेसर्स की पढ़ाने की शैली ने मेरी समझ को विकसित किया, जिससे मेरी राह काफी सुगम हो गई।


 दूसरे प्रयास के लिए मेरी अच्छी खासी तैयारी हो गई थी। साथ ही मेरे एम.ए. हिंदी के सहपाठियों के साथ देश-दुनिया के समसामयिक मुद्दों पर स्वस्थ बहस ने मेरी जानकारी को बढ़ाया और मेरे व्यक्तित्व को भी निखारा। इसी का परिणाम था कि इस बार मुझे जबर्दस्त सफलता मिली और मैंने सिविल सेवा परीक्षा 2016 में ऑल इंडिया 33वीं रैंक प्राप्त की। मुझे IAS में गुजरात कैडर मिला है।


सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले परीक्षार्थियों को मेरी यही सलाह है कि नकारात्मकता एवं डर को अपने जेहन में स्थान ना दें। आपकी पृष्ठभूमि और परीक्षा का माध्यम आदि आपकी सफलता में बाधा नहीं हैं। यू.पी.एस.सी. में सफल होने हेतु अनवरत परिश्रम करते रहें एवं आत्मविश्वास बनाकर रखें। मुझे लगता है कि जब मैं कर सकता हूँ, तो आप भी कर सकते हैं। साथ ही, समस्त युवा साथियों से मेरा आग्रह है कि अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक रखें। किसी भी प्रकार के बहकावे में न आते हुए स्वतंत्र चिंतन करें और अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करें। राष्ट्र का सशक्तीकरण युवाओं के सशक्तीकरण से ही संभव है।


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गेस्ट लेखक निशान्त जैन की मोटिवेशनल किताब 'रुक जाना नहीं' में सफलता की इसी तरह की और भी कहानियां दी गई हैं, जिसे आप अमेजन से ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं।


(योरस्टोरी पर ऐसी ही प्रेरणादायी कहानियां पढ़ने के लिए थर्सडे इंस्पिरेशन में हर हफ्ते पढ़ें 'सफलता की एक नई कहानी निशान्त जैन की ज़ुबानी...')