बड़े रियल्टी बाजार के रूप में उभर रहे हैं टियर 2 और 3 शहर
आने वाले भविष्य में, ये शहर भी महानगरों की बराबरी करने के साथ आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों में निवेश के भरपूर मौके प्रदान करेंगे और इस बात पर भरोसा करने के कई पुख्ता कारण हैं:
देश में टियर 2 और टियर 3 शहर घर खरीदारों और निवेशकों के लिए मजबूत रियल एस्टेट के स्थानों के रूप में बदल चुके है. इसकी वजह यहां पर बेहतर आर्थिक-ढांचागत विकास, दमदार कनेक्टिविटी, कम खर्च में रहने की सुविधा और रियल एस्टेट की आकर्षक कीमतों का होना है.
कोरोना-19 महामारी, आपूर्ति श्रृंखला की मुश्किलों और विभिन्न परेशानियों के चलते सामने आई वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था एक उचित स्थान पर टिकी हुई है. तमाम मुश्किलों से जूझने के बावजूद जिंदगी को पटरी पर वापस लाने की क्षमता यानी घरेलू लचीलेपन के दम पर देश की अर्थव्यवस्था प्रतिस्पर्धी होने के साथ स्थिर बनी हुई है! इनमें ज्यादातर लचीलापन टियर 2 और टियर 3 शहरों की तरक्की से देखने को मिला है, जो विकास के केंद्र हैं और सामाजिक-आर्थिक विकास में भी सहयोग करते हैं. इसके चलते हजारों की तादाद में संभावित घर खरीदार और निवेशक इन शहरों को प्रदूषित और भीड़भाड़ वाले महानगरों यानी मेट्रो सिटीज के विकल्प के रूप में देखते हैं.इनमें शामिल कुछ प्रमुख नामों में लखनऊ, चंडीगढ़, लुधियाना, भोपाल, इंदौर, कोच्चि, अमृतसर, गोवा, गुवाहाटी और जयपुर आदि हैं.
टियर दो और टियर तीन के ये शहर रियल एस्टेट के महत्वपूर्ण बाजारों के रूप में तेजी से उभर रहे हैं, जहां एक दमदार आवासीय हिस्सा समग्र बुनियादी ढांचे के विकास का पूरक बना हुआ है. नतीजतन आगरा, कोयंबटूर, पटना, श्रीनगर, ठाणे, वडोदरा, वाराणसी, विशाखापत्तनम, भुवनेश्वर, ग्वालियर और उदयपुर जैसे अन्य शहर भी उभरते रियल एस्टेट बाजारों की सूची में शामिल हो गए हैं.
आने वाले भविष्य में, ये शहर भी महानगरों की बराबरी करने के साथ आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों में निवेश के भरपूर मौके प्रदान करेंगे और इस बात पर भरोसा करने के कई पुख्ता कारण हैं:
आर्थिक विकास के साथ अच्छी कनेक्टिविटी
इनमें से अधिकांश शहर प्रदेश और राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में योगदान करते हुए धीरे-धीरे आर्थिक महाशक्ति बन रहे हैं. बुनियादी ढांचे में विकास और लगातार बेहतर होती कनेक्टिविटी ने आर्थिक विकास में तेजी को बढ़ा दिया है. जैसे- पिछले कुछ वर्षों में लखनऊ ने अपनी सीमा के चारों ओर विस्तार किया है और निवेश के रूप में लाखों को आकर्षित किया है. नए व्यवसायों और कंपनियों ने रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए काम शुरू किया है. उत्तर प्रदेश की राजधानी अब सूबे के शहरों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के बीच संपर्क की एक कड़ी है.
लुधियाना और इंदौर जैसे शहर अब देश के विकासशील मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स नेटवर्क का हिस्सा हैं जो देश में आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कोच्चि और अमृतसर पहले से ही अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर हैं और विश्व स्तर पर मशहूर हैं. इनमें से कई शहरों को अब अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) मिल गए हैं, जो इन शहरों में रोजगार की बेहतर संभावनाओं को बढ़ाते रहेंगे.
अच्छा किराया और निवेश में बढ़त
टियर 2 और टियर 3 शहरों में किए गए निवेश में बढ़ोतरी की अच्छी संभावना है. बुनियादी ढांचे के विकास और कनेक्टिविटी के बढ़ते स्तर ने इन स्थानों को रियल एस्टेट के मशहूर केंद्रों में तब्दील कर दिया है. इसके परिणामस्वरूप, इन शहरों में आने वाले ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट्स, निवेश की गई पूंजी को बढ़ाने और ज्यादा किराया मिलने की संभावना प्रदान करते हैं. यहां किए गए निवेश पर मिलने वाली बढ़ी रकम अक्सर बड़े शहरों की तुलना में ज्यादा होती है. रियल्टी निवेशक और इन प्रोजेक्ट्स में रहने वाले असल लोग इन शहरों और प्रोजेक्ट्स को उनकी कम औसत कीमतों, दामों में लगातार बढ़ोतरी और उनकी संपत्तियों के आसपास खुले स्थानों की उपलब्धता के लिए देखते हैं. टियर 2 और टियर 3 शहरों में वाणिज्यिक संपत्ति के किराये में 12-15 फीसदी और आवासीय संपत्ति के किराये में 5-7 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद की जा सकती है.
ब्रांडेड डेवलपर्स की मौजूदगी
बेहतर विकास की संभावनाओं के चलते, सूचीबद्ध, दिग्गज और ब्रांडेड डेवलपर्स ने इन शहरों को अपने पोर्टफोलियो में जोड़ा है और हालिया वर्षों में यहां काम शुरु किया है. इसका मतलब घर खरीदारों लिए प्रतिस्पर्धी और वाजिब दरों पर गुणवत्तापूर्ण विकल्पों की उपलब्धता और आपूर्ति है. ये प्रोजेक्ट्स मेट्रो शहरों में मौजूद प्रोजेक्ट्स की ही तरह सुविधाएं प्रदान करते हैं. कोविड-19 ने टियर 2 और टियर 3 शहरों में मौजूद छिपी हुई मांग को बहुत अधिक बढ़ा दिया है. इसके अलावा, डेवलपर्स के पक्ष में घर से काम करने की नई व्यवस्था (वर्क फ्रॉम होम) ने सबसे अधिक मजबूती से काम किया है. घर-दफ्तर से काम करने की छूट देने वाला ये हाइब्रिड वर्क कल्चर टियर 2 और टियर 3 शहरों में प्रवासी पेशेवरों को आकर्षित करना जारी रखेगा और ज्यादा से ज्यादा डेवलपर्स को गुणवत्तापूर्ण प्रोजेक्ट्स के साथ इन क्षेत्रों में प्रवेश करने के लिए प्रेरित करेगा.
दृष्टिकोण
आने वाले महीनों में देश में आवासीय और वाणिज्यिक संपत्ति की आपूर्ति में बढ़ोतरी देखे जाने की संभावना है. आवासीय आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा टियर 1 महानगरों के अलावा टियर 2 और टियर 3 शहरों में भी आएगा. विकास से जुड़ी कंपनियां यह पता लगा रही हैं कि महामारी के बाद आवास की अधिकतम मांग कहां होगी ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि उन्हें अपने अगले प्रयासों पर कहां ध्यान केंद्रित करना है और टियर 2 और टियर 3 शहर भविष्य के विकास के लिए उम्दा स्थान बन चुके हैं.
(लेखक ‘Shubhashish Homes’ के सीईओ हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं. YourStory का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)
Edited by रविकांत पारीक