बढ़ती उम्र में अनदेखा खतरा: कमजोर इम्यूनिटी बढ़ा सकती है शिंगल्स का खतरा
शिंगल्स उसी वायरस से होता है, जिससे चिकनपॉक्स (चेचक) होता है. जब कोई व्यक्ति एक बार चिकनपॉक्स से संक्रमित हो जाता है, तो यह वायरस शरीर में छिपा रहता है. स्वस्थ इम्यून सिस्टम इसे लंबे समय तक नियंत्रण में रखता है.
उम्र बढ़ना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जो हमें अनुभव, समझ और यादों का खजाना देती है. लेकिन इसके साथ शरीर में कई बदलाव भी आते हैं, जिनमें से एक अहम बदलाव है हमारे शरीर की संक्रमणों से लड़ने की क्षमता का धीरे-धीरे कम होना. हमारी इम्यूनिटी, जो पहले मजबूत और सक्रिय होती है, समय के साथ कमजोर पड़ने लगती है. इस प्रक्रिया को इम्यूनोसिनेसेंस कहा जाता है.
जब लोग 50 साल की उम्र के करीब पहुंचते हैं, तो उनकी इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है, भले ही वे कुल मिलाकर स्वस्थ ही क्यों न हों. इस दौरान इम्यून सेल्स की एंटीबॉडी बनाने की क्षमता घटने लगती है. शरीर बैक्टीरिया और वायरस को पहचानने और उनसे लड़ने में कम प्रभावी हो जाता है. इसके अलावा, उम्र बढ़ने के साथ शरीर में धीरे-धीरे सूजन (inflammation) बढ़ती है, जिसे ‘इंफ्लामेजिंग’ (Inflammaging) कहा जाता है. यह इम्यून सिस्टम को और कमजोर कर देता है और शरीर को शिंगल्स जैसे संक्रमणों के प्रति ज्यादा संवेदनशील बना देता है.
शिंगल्स उसी वायरस से होता है, जिससे चिकनपॉक्स (चेचक) होता है. जब कोई व्यक्ति एक बार चिकनपॉक्स से संक्रमित हो जाता है, तो यह वायरस शरीर में छिपा रहता है. स्वस्थ इम्यून सिस्टम इसे लंबे समय तक नियंत्रण में रखता है. लेकिन जब इम्यूनिटी कमजोर होती है, तो यह वायरस दोबारा सक्रिय हो सकता है और शिंगल्स नामक तकलीफदेह बीमारी का कारण बन सकता है.
शिंगल्स के दाने और चकत्ते दर्दनाक होते हैं, लेकिन इसका सबसे आम दुष्प्रभाव पोस्टहर्पेटिक न्यूराल्जिया है, जिसमें तंत्रिकाओं में जलन और दर्द महीनों या सालों तक बना रह सकता है. कुछ गंभीर मामलों में शिंगल्स से चेहरे पर लकवा (Facial Paralysis) या आंखों की रोशनी जाने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.
इसके बावजूद, बहुत से लोग अपनी सेहत को लेकर पहले से कदम नहीं उठाते. इंडिया शिंगल्स अवेयरनेस सर्वे 2025 के अनुसार, भारत में 50 वर्ष से अधिक उम्र के केवल 25% लोग उम्र से जुड़ी बीमारियों को लेकर जागरूक हैं और उनके प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाते हैं. उम्र बढ़ना एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसे हमें अपनाना ही होता है, लेकिन इसके बुरे प्रभावों को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं.
टीकाकरण (वैक्सीनेशन) उम्रदराज इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकता है. यह शरीर को संक्रमणों से लड़ने में ज्यादा सक्षम बनाता है और घटती इम्यूनिटी के असर को रोकने में मदद करता है. सभी 50 साल से ऊपर के लोगों को शिंगल्स के खिलाफ टीकाकरण के बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
इसके अलावा, नियमित स्वास्थ्य जांच कराना, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना और पोषण से भरपूर आहार लेना भी जरूरी है. रोकथाम केवल जीवन को लंबा करने के लिए नहीं होती, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए होती है कि बढ़ती उम्र अच्छे स्वास्थ्य और ऊर्जा के साथ बीते.
उम्र बढ़ना तो तय है, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ आने वाली बीमारियां से पीड़ित होना जरूरी नहीं हैं, क्योंकि सही तरीको और जानकारी के साथ उनसे बचा जा सकता है. सही जानकारी रखें, सक्रिय रहें और यह सुनिश्चित करें कि बढ़ती उम्र का मतलब सिर्फ लंबी उम्र नहीं, बल्कि एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन हो.
Edited by रविकांत पारीक