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65% भारतीयों ने जनरेटिव AI पर काम किया: Microsoft सर्वे

भारत में एआई का सबसे ज्यादा प्रयोग अनुवाद करने, प्रश्नों के उत्तर पाने, काम के दौरान दक्षता बढ़ाने और बच्चों को स्कूल के काम में सहायता करने में हो रहा है. दूसरी ओर, वैश्विक ट्रेंड के अनुरूप भारत में भी एआई को लेकर ऑनलाइन धोखाधड़ी, डीपफेक, स्कैम और एआई मतिभ्रम जैसी चिंताएं देखने को मिलीं.

65% भारतीयों ने जनरेटिव AI पर काम किया: Microsoft सर्वे

Wednesday February 12, 2025 , 4 min Read

माइक्रोसॉफ्ट ने मंगलवार (11 फ़रवरी) को अपने ग्लोबल ऑनलाइन सेफ्टी सर्वे का नौवां संस्करण जारी किया. इसमें ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर वैश्विक स्तर पर और भारत की स्थिति से जुड़े अहम तथ्य सामने आए हैं. पिछले साल के सर्वे में एआई के बढ़ते प्रभाव की तस्वीर सामने आई थी. इस साल यह जानने का प्रयास किया गया है कि एआई को लेकर लोगों की राय क्या है और लोग टेक्नोलॉजी का कैसे प्रयोग कर रहे हैं. 19 जुलाई से 9 अगस्त, 2024 तक किए गए इस वेब सर्वे में 15 देशों के 14,800 किशोरों, 6-17 साल के बच्चों के अभिभावकों और वयस्कों से बात की गई.

सर्वे से भारत में एआई का बढ़ता प्रभाव सामने आया. इसमें पाया गया है कि भारत में जनरेटिव एआई का प्रयोग बढ़ा है और यह इसी अवधि के वैश्विक औसत के दोगुने से भी ज्यादा है. भारत में एआई का सबसे ज्यादा प्रयोग अनुवाद करने, प्रश्नों के उत्तर पाने, काम के दौरान दक्षता बढ़ाने और बच्चों को स्कूल के काम में सहायता करने में हो रहा है. दूसरी ओर, वैश्विक ट्रेंड के अनुरूप भारत में भी एआई को लेकर ऑनलाइन धोखाधड़ी, डीपफेक, स्कैम और एआई मतिभ्रम जैसी चिंताएं देखने को मिलीं. इस साल के सर्वे में यह भी सामने आया कि बच्चों की डिजिटल चुनौतियों को लेकर भारतीय अभिभावकों की समझ बढ़ी है, जिससे पिछले साल की तुलना में बढ़ी हुई जागरूकता सामने आई है.

माइक्रोसॉफ्ट यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि एआई के उपयोग में नैतिकता का ध्यान रखा जाए और सभी के लिए एक सुरक्षित डिजिटल अनुभव तैयार किया जाए. कंपनी छह क्षेत्रों पर फोकस करते हुए एक व्यापक दृष्टिकोण पर काम करती है, जिससे एआई जनरेटेड कंटेंट से जुड़ी चिंताओं को दूर किया जा सके. इनमें – स्ट्रॉन्ग सेफ्टी आर्किटेक्चर, मीडिया प्रमाणिकता एवं वॉटरमार्किंग, अपनी सर्विसेज को अश्लील कंटेंट एवं कंडक्ट से बचाना, उद्योग जगत, सरकारों एवं समाज के बीच मजबूत गठजोड़ बनाना, टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग से लोगों को बचाने के लिए कानूनों का आधुनिकीकरण करना और जन जागरूकता एवं शिक्षा जैसे क्षेत्र शामिल हैं. माइक्रोसॉफ्ट का फैमिली सेफ्टी टूलकिट परिवारों को साथ मिलकर अपनी ऑनलाइन गतिविधियों को जानने और उन पर चर्चा करने के लिए प्रोत्साहित करता है. साथ ही डिजिटल पैरेंटिंग बढ़ाने के लिए कंपनी के सेफ्टी फीचर्स का उपयोग करने के लिए उपयोगकर्ताओं का मार्गदर्शन करता है.

भारत को लेकर ग्लोबल ऑनलाइन सेफ्टी सर्वे 2025 के प्रमुख निष्कर्ष:

  • 65% प्रतिभागियों ने जनरेटिव एआई का प्रयोग किया है (2023 से 26% ज्यादा). यह समीक्षाधीन अवधि में 31% के वैश्विक औसत के दोगुने से ज्यादा है.
  • मिलेनियल्स (25-44 की उम्र) में सबसे ज्यादा 84% लोगों ने एआई का प्रयोग किया है (2023 से 15% ज्यादा).
  • साप्ताहिक स्तर पर जनरेटिव एआई का प्रयोग पिछले साल के 20% से बढ़कर 71% हो गया है.
  • सर्वे में शामिल 62% लोग एआई के साथ बहुत सहज अनुभव करते हैं (2023 से 19% ज्यादा).

  • एआई के प्रमुख प्रयोग: ट्रांसलेशन टूल्स (69%), प्रश्नों के उत्तर पाने में (67%), काम के दौरान दक्षता बढ़ाने के लिए (66%), बच्चों को स्कूल के काम में मदद (64%).

  • एआई से जुड़ी अहम चिंताएं: ऑनलाइन शोषण (76%), डीपफेक (74%), धोखाधड़ी (73%), एआई मतिभ्रम (70%), 80% से ज्यादा प्रतिभागियों ने 18 साल से कम उम्र के बच्चों द्वारा एआई के प्रयोग पर चिंता जताई. 78% अभिभावकों का अनुमान है कि उनके किशोर उम्र के बच्चों ने ऑनलाइन खतरे का सामना किया है और 61% इस बारे में उनसे बात करने के लिए तैयार हैं (वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 41% है). 82% भारतीय किशोरों ने कहा कि उन्होंने ऑनलाइन खतरे का सामना किया है.

माइक्रोसॉफ्ट ने 2016 से एक वार्षिक शोध का प्रकाशन प्रारंभ किया था, जिसमें यह सर्वे किया जाता है कि विभिन्न उम्र के लोग किस तरह ऑनलाइन टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हैं और इसे लेकर उनकी क्या धारणा है. उपभोक्ता आधारित हालिया रिपोर्ट 19 जुलाई से 9 अगस्त, 2024 तक 15 देशों में 15,000 किशोरों (13-17 साल) और वयस्कों पर किए गए सर्वे पर आधारित है. इसमें ऑनलाइन सेफ्टी टूल्स के बारे में लोगों की धारणा का आकलन किया गया. प्रत्येक देश में सर्वे को किशोरों एवं वयस्कों में समान रूप से बांटा गया था. भारत में सर्वे में कुल 1,002 लोगों ने हिस्सा लिया. विभिन्न देशों में ऑनलाइन सेफ्टी को लेकर लोगों की प्रतिक्रिया में अंतर देखने को मिला.

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