Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

इस आईपीएस अफसर की बदौलत गरीब बच्चों को मिली पढ़ने के लिए स्कूल की छत

आईपीएस ऑफिसर हो तो जीएस मलिक जैसा हो...

इस आईपीएस अफसर की बदौलत गरीब बच्चों को मिली पढ़ने के लिए स्कूल की छत

Tuesday July 17, 2018 , 3 min Read

स्कूल में कक्षा एक से लेकर 7वीं तक लगभग 325 बच्चे पढ़ते हैं। लेकिन उनके पास सिर्फ एक ही हॉल हुआ करता था जिसमें दो शिफ्टों में बच्चों की पढ़ाई होती थी। इससे बच्चों को पढ़ाई करने में काफी दिक्कतें होती थीं।

IPS जीएस मलिक (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

IPS जीएस मलिक (फोटो साभार- सोशल मीडिया)


आईपीएस जीएस मलिक ने बच्चों की समस्याओं के लिए राज्य सरकार से लेकर तत्कालीन प्रधान सचिव हसमुख अधिया तक अपनी बात पहुंचाई। उनकी बात सुनी गई और स्कूल को तीन मंजिला इमारत में बदलने का बजट स्वीकृत कर दिया गया।

गुजरात के वड़ोदरा में स्थित कवि दयाराम प्राथमिक शाला में पढ़ने वाले बच्चों को पहले पूरे स्कूल के साथ एक ही हॉल में पढ़ना पड़ता था। दरअसल स्कूल में सिर्फ एक हॉल ही ऐसा था जहां सारे स्कूल के बच्चे दो शिफ्टों में पढ़ते थे। लेकिन अब यह स्कूल पूरी तरह बदल चुका है और सुविधाओं के लिहाज से यह स्कूल प्राइवेट स्कूलों को भी टक्कर दे रहा है। स्कूल में हुए ढांचे में हुए परिवर्तन का श्रेय गुजरात कैडर के आईपीएस ऑफिसर जीएस मलिक को जाता है।

जीएस मलिक 2010 में वड़ोदरा शहर के जॉइंट पुलिस कमिश्नर थे। उस वक्त उन्हें कन्या केलावाणी और शाला प्रवेशोत्सोव के तहत स्कूल में आमंत्रित किया गया था। उन्होंने जब स्कूल में बच्चों की हालत देखी तो उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने बच्चों की मदद करने का फैसला कर लिया। स्कूल में कक्षा एक से लेकर 7वीं तक लगभग 325 बच्चे पढ़ते हैं। लेकिन उनके पास सिर्फ एक ही हॉल हुआ करता था जिसमें दो शिफ्टों में बच्चों की पढ़ाई होती थी। इससे बच्चों को पढ़ाई करने में काफी दिक्कतें होती थीं।

आईपीएस जीएस मलिक ने बच्चों की समस्याओं के लिए राज्य सरकार से लेकर तत्कालीन प्रधान सचिव हसमुख अधिया तक अपनी बात पहुंचाई। उनकी बात सुनी गई और स्कूल को तीन मंजिला इमारत में बदलने का बजट स्वीकृत कर दिया गया। अब स्कूल के बच्चों के पास हर क्लास के लिए अलग अलग कमरे मिल गए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए मलिक ने कहा, 'जब मैं पहली बार इस स्कूल में गया था तो बच्चों को एक 50 साल पुरानी इमारत में बैठाया गया था। वह इमारत भी किराए की थी।'

उन्होंने बताया कि 30x25 फुट की इमारत के एक-एक कोने में कक्षा 4, 5, 6 और 7वीं के बच्चों को बैठाया जाता था। अलग-अलग क्लासरूम के बारे में तो छोड़ ही दीजिए स्कूल में वॉशरूम की हालत भी सही नहीं थी। वहीं अब स्कूल में 13 कक्षाएं बन गई हैं जिसमें लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग वॉशरूम भी हैं। स्कूल में इमारत बनवाने के लिए भारतीय सेवा समाज ने थोड़ी जमीन भी दान की। बाकी लोगों के लिए भले ही ये आम बात हो, स्कूल के बच्चों में इससे काफी परिवर्तन आया है और उनकी पढ़ाई अब और बेहतर ढंग से चल रही है। सभी बच्चे आईपीएस जीएस मलिक के शुक्रगुजार हैं, जिनकी बदौलत यह परिवर्तन संभव हो सका।

यह भी पढ़ें: 40 कुम्हारों को रोजगार देकर बागवानी को नए स्तर पर ले जा रही हैं 'अर्थली क्रिएशन' की हरप्रीत