कोई सामने वाले फ्लैट से छिपकर आपकी निजी तस्वीरें खींचे तो ?
निजता और सुरक्षा का अधिकार आलिया भट्ट को भी है. ठीक वैसे ही जैसे आपको है.
इतालवी फिल्म निर्देशक फेदरिको फेलिनी की 1960 में बनी एक फिल्म है ‘ल डोल्चे विता’ (La Dolce Vita). इस फिल्म में एक बहुत हायपर एक्टिव किस्म का फोटोग्राफर है, जिसका नाम है पपराजो. पपराजो एक इटैलियन स्लैंग शब्द है, जिसका अर्थ होता है मच्छर. एक बार टाइम मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में फेलिनी ने कहा था कि पपराजो का चरित्र एक बजबजाते, भिनभिनाते और पीछे पड़े हुए मच्छर की याद दिलाता है. इसीलिए हमने उस चरित्र के लिए यह शब्द चुना.
फेलिनी की फिल्म के उसी पपराजो से निकला है यह शब्द पपराजी. एक भिनभिनाता हुआ पीछे पड़ा मच्छर. अगर आप एक सेलिब्रिटी हैं तो उस मच्छर से कहीं भी सुरक्षित नहीं. वो अपने एडवांस जूम कैमरे का लेंस लेकर आपके बेहद निजी स्पेस में घुसकर तबाही मचा सकता है. खासतौर पर अगर आप एक सेलिब्रिटी महिला हैं तो आप कहीं भी सुरक्षित नहीं. पब्लिक स्पेस में तो नहीं ही हैं, अपने सबसे सुरक्षित निजी स्पेस में भी नहीं.
उस दिन आलिया भट्ट अपने घर में थीं. अपने रोजमर्रा के घर के कपड़ों में, अपने सबसे सुरक्षित स्पेस में, अपने एकांत में. उस वक्त वो सिर्फ एक औरत थी, पत्नी थी, मां थी और सबसे बढ़कर एक मनुष्य, जिसका एक निजी स्पेस है. जिसके पास निजता का अधिकार है. वैसे ही, जैसे आपको, हमें, सभी लोगों का अपनी प्राइवेसी का अधिकार है.
लेकिन अपने घर के उस एकांत सुरक्षित कोने में भी वह अकेली और सुरक्षित नहीं थी. सामने वाली इमारत की छत पर चढ़कर डिस्टेंट एंगल कैमरे से कुछ लोग उन बेहद निजी क्षणों में उसकी तस्वीरें खींच रहे थे. वो उसकी मर्जी के खिलाफ ऐसा काम कर रहे थे, जिसकी आलिया ने इजाजत नहीं दी थी. जिसमें उसकी सहमति नहीं थी और जिसके बारे में उसे पता भी नहीं था.
आलिया भट्ट ने इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी शेयर करके ये वाकया विस्तार से लिखा है. उन्होंने उस स्टोरी में मुंबई पुलिस को भी टैग करते हुए लिखा है, ”यह सारी हदों को लांघने वाली बात है. अगर एक महिला अपने घर के अंदर सुरक्षित नहीं है तो वह पब्लिक स्पेस में और घर के बाहर क्या ही सुरक्षित होगी.

“कोई व्यक्ति अगर अपनी आजीविका के लिए भी पब्लिक फिगर्स की इस तरह तस्वीरें खींचता है तो उसे पता होना चाहिए कि यह बहुत ही शर्मनाक हरकत है. ऐसा करने वाले मीडिया के लोग हैं, जिन पर हम भरोसा करते हैं. वो अपना काम करने की बजाय एक महिला की निजता में ताक-झांक करते हैं और उसे असुरक्षित महसूस कराते हैं. यह भी एक तरह की ‘स्टॉकिंग’ ही है.”
आलिया भट्ट के साथ जो हुआ, वो कोई पहली अनूठी घटना नहीं है. इसके पहले भी कई मशहूर महिलाओं के साथ मीडिया इस तरह की हरकत कर चुका है. उन्हें उनके निजी स्पेस में और उनकी मर्जी और जानकारी के बगैर शूट किया गया.
पपराजी की इन हरकतों के कितने खरनाक नतीजे हो सकते हैं, इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो प्रिंसेज डायना ही हैं. पेरिस में उनकी कार का जब एक्सीडेंट हुआ तो पपराजी उनका पीछा कर रही थी. उनसे बचने की कोशिश में उन्होंने इतनी तेज कार चलाई कि गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया. डायना तब सिर्फ 36 साल की थीं. इसकी बाद में जांच भी चली और मुकदमा भी हुआ, लेकिन किसी को सजा नहीं हुई.
2006 में ब्राजील की एक्ट्रेस और रोनाल्डो की एक्स गर्लफ्रेंड डेनिएला सिकारेली का पपराजी ने बेहद निजी क्षणों में वीडियो बनाया और उसे यूट्यूब पर डाल दिया. बाद में इस पर मुकदमा चला और फैसला उसके पक्ष में हुआ. हालांकि इस घटना ने पूरे ब्राजील और दुनिया की सेलिब्रिटी कम्युनिटी को हिलाकर रख दिया. यह और जाहिर हो गया कि उनकी निजता कहीं भी सुरक्षित नहीं है.
ऐसे ही प्रिंस विलियम की पत्नी और डचेज ऑफ कैंब्रिज कैथरीन की एक निजी और आपत्तिजनक तस्वीर फ्रांस की पॉपुलर सेलिब्रिटी मैगजीन ‘क्लोजर’ ने छापी. फ्रांस में छुट्टियां मना रही कैथरीन उस तस्वीर में टॉपलेस थीं और सनबाथ ले रही थीं. ब्रिटेन के रॉयल परिवार ने क्लोजर मैगजीन के एडिटर के खिलाफ मुकदमा कर दिया.
मुकदमे की वजह स्पष्ट थी. राइट टू प्राइवेसी का अधिकार सबको है. उस वक्त वह अपने निजी और सुरक्षित स्पेस में थीं, जहां वह यह उम्मीद नहीं कर सकती थीं कि कोई बाहरी व्यक्ति अपने कैमरे के साथ उनकी निजता में घुस जाएगा और उनकी तस्वीरें खींचकर उसे पब्लिक कर देगा. मुकदमे का फैसला कैथरीन के पक्ष में हुआ. न सिर्फ मैगजीन को सारा पब्लिश्ड मटेरियल वापस लेना पड़ा, बल्कि सबकुछ ओरिजिनल फॉर्म में लौटाना भी पड़ा. साथ ही तय हुआ कि मैगजीन इस फोटो को कहीं और बेच नहीं सकती. ऐसा होने की स्थिति में उसे भारी जुर्माना भरना पड़ेगा.

दुनिया भर में ऐसे सैकड़ों उदाहरण भरे पड़े हैं, जहां पपराजी ने निजता और मनुष्यता की सारी सीमाएं लांघ दी हैं. आलिया भट्ट की इंस्टा पोस्ट पर जाह्नवी कपूर और अनुष्का शर्मा ने भी अपने ऐसे ही अनुभव बयान किए. अनुष्का और विराट को तो पपराजी के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा था क्योंकि वे लोग गैरकानूनी ढंग से उनकी बेटी की तस्वीरें खींच रहे थे. जबकि माता-पिता की मर्जी के बिना छोटे बच्चों की तस्वीरें खींचना और मीडिया में पब्लिश करना कानूनन अपराध है.
यहां पपराजी पर सवाल उठने के साथ एक सवालिया उंगली उन आम लोगों पर भी उठनी चाहिए, जो ऐसी तस्वीरों और निजी चीजों के उपभोक्ता हैं. आखिर पपराजी में, मीडिया में, सेलिब्रटी पत्रिकाओं में लोगों की निजी जिंदगी की तस्वीरें छापने को लेकर इस तरह की होड़ और पागलपन क्यों है. वो इसलिए है क्योंकि ऐसी चीजें देखने का पागलपन हमारे भीतर भी है. यह एक तरह का मनोविज्ञान है, जो दोनों डिमांड और सप्लाय, दोनों तरफ से काम करता है.
सेलिब्रिटी लोगों की जिंदगी को लेकर उत्सुकता होना, उनके बारे में सबकुछ जानने की इच्छा रखना एक बात है, लेकिन ऐसी तस्वीरों को देखकर उत्साहित महसूस करना एक खतरनाक संकेत है, जिसमें उनकी निजता का उल्लंघन किया गया हो, उनकी जानकारी के बगैर उनके निजी स्पेस में घुसने की कोशिश की गई हो.
फर्ज करिए कि आपके निजी स्पेस में कोई आपकी इजाजत के बगैर घुस जाए. सामने वाली बिल्डिंग की बालकनी में छिपकर कोई आपको दूरबीन से देखे, आपकी तस्वीरें खींचे. भले वो तस्वीरें कहीं अखबार में न छपें, सोशल मीडिया पर न जाएं, लेकिन आपकी निजता और सुरक्षा में कोई आपकी इजाजत के बगैर घुस आया है. हमें इस बात की कल्पना भर से जैसा महसूस हो रहा है, कुछ वैसा ही आलिया को भी हुआ होगा. चाहे वो एक सेलिब्रिटी ही क्यों न हो.