Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है, मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है

राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है, मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है

Saturday August 13, 2022 , 5 min Read

शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब प्रांत के जिला लायलपुर के गांव बावली (अब पाकिस्तान) में एक सिख परिवार में हुआ था. भगत सिंह के पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था. भगत सिंह अपने माता पिता की तीसरी संतान थे. शुरुआत से ही भगत सिंह का पूरा परिवार स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ था. खुद भगत सिंह के पिताजी किशन सिंह और उनके बड़े चाचा सरदार अजीत सिंह स्वतंत्रता संग्राम के लिए गठित गदर पार्टी के सदस्य थे.

गदर पार्टी की स्थापना का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों को भारत से भगाने का ही था, बचपन से ही क्रांतिकारी माहौल में पले बड़े भगत सिंह के मस्तिष्क पर आजादी की लड़ाई को लेकर काफी उत्साह और जोश रहता था. उनके अंदर अपने देश के प्रति सेवा भाव और देशभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई थी.

लाहौर (पाकिस्तान) के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर 1926 में उन्होंने ‘नौजवान सभा’ की स्थापना की और ब्रिटिश हुकूमत के प्रत्यक्ष विरोध का रास्ता चुना. लाला लाजपत राय पर लाठी प्रहार करवाने के दोषी पुलिस अधिकारी सांडर्स की 17 दिसंबर 1928 को गोली मारकर हत्या और 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में बम विस्फोट उनकी प्रमुख क्रांतिकारी गतिविधियों में शुमार हैं. 23 मार्च 1931 को उन्हें सांडर्स हत्याकांड के दोषी के रूप में फांसी की सजा दे दी गई. मात्र 23 वर्ष की उम्र में भगत सिंह स्वतंत्रता की लड़ाई में हंसते-हंसते फांसी पर झूल गये. उन्होंने न सिर्फ स्वयं को देश की आज़ादी की खातिर बलिदान कर दिया, बल्कि यह बताया कि उनके लिए देश और आज़ादी के मायने क्या हैं.

अब, इस वर्ष जैसा कि यह आज़ादी का अमृत महोत्सव है, हम यहां देश के सबसे बड़े क्रांतिकारी भगत सिंह को याद करते हुए उनके अनमोल विचार आपके साथ शेयर कर रहे हैं...

  • लिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा… मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा.

  • राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है, मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है.

  • जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं.

  • सिने पर जो ज़ख्म है, सब फूलों के गुच्छे हैं, हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं.

  • दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फत, मेरी मिट्ठी से भी खूशबू-ए-वतन आएगी.

  • हमारी कलम हमारे जज्बातों से इस कदर वाकिफ है कि अगर हम उससे इश्क लिखना चाहे तो वो इंकलाब लिख देती है.

  • प्रेमी, पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं.

  • देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं.

  • देशभक्तों के विचारों की शान तो सिर्फ क्रांति की तलवारों से ही तेज की जा सकती है.

  • सूर्य विश्व में हर किसी देश पर उज्ज्वल हो कर गुजरता है परन्तु उस समय ऐसा कोई देश नहीं होगा, जो भारत देश के सामान इतना स्वतंत्र, इतना खुशहाल, इतना प्यारा हो.

  • मनुष्य/इन्सान तभी कुछ करता है जब उसे अपने कार्य का उचित होना सुनिश्चित होता है.

  • यदि बहरों को सुनना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा.

  • किसी को ‘क्रांति’ शब्द की व्याख्या शाब्दिक अर्थ में नहीं करनी चाहिए. जो लोग इस शब्द का उपयोग या दुरूपयोग करते हैं, उनके फायदे के हिसाब से इसे अलग-अलग अर्थ और अभिप्राय दिए जाते हैं.

  • कोई भी व्यक्ति जो जीवन में आगे बढ़ने के लिए तैयार खड़ा हो उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमे अविश्वास करना होगा और चुनौती भी देना होगा.

  • किसी भी इंसान को मारना आसान है, परन्तु उसके विचारों को नहीं. महान साम्राज्य टूट जाते हैं, तबाह हो जाते हैं, जबकि उनके विचार बच जाते हैं.

  • आम तौर पर लोग जैसी चीजें हैं उसके आदी हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं. हमें इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की जरूरत है.

  • जो व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा तथा उसे चुनौती देनी होगी.

  • मैं इस बात पर जोर देता हूँ कि मैं महत्त्वाकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ. पर मैं ज़रुरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूँ, और वही सच्चा बलिदान है.

  • …व्यक्तियो को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते.

  • क़ानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक की वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करे.

  • क्रांति मानव जाती का एक अपरिहार्य अधिकार है. स्वतंत्रता सभी का एक कभी न ख़त्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है. श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है.

  • निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं.

  • मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है.

  • क्रांति लाना किसी भी इंसान की ताकत के बाहर की बात है. क्रांति कभी भी अपनेआप नही आती. बल्कि किसी विशिष्ट वातावरण, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों में ही क्रांति लाई जा सकती है.

  • जीवन में आने वाली मुसीबतों से ना घबराए, मुसीबतें तो इंसानों को पूर्ण बनाती हैं. अगर आप मुसीबत की स्थिति में है तो अपने मन में हौसला और धैर्य को बनाए रखें.

  • संसार में बुराई इसलिए नहीं बढ़ रही है क्योंकि बुरे लोग बढ़ गए हैं, बल्कि इसलिए बढ़ रही है क्योंकि बुराई को सहने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है.

  • क्रांतिकारी बनने के लिए क्रोध की आवश्यकता नहीं है. एक सच्चा क्रांतिकारी बनने के लिए मन में हौसला और नेक इरादे होना आवश्यक है.