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मामूली बुखार, सर्दी-जुखाम में न लें दवाई, एंटी-बायोटिक दवाओं पर ICMR की नई गाइडलाइंस

पूरी दुनिया में जरूरत से ज्‍यादा इस्‍तेमाल के कारण वायरस और बैक्‍टीरिया जनित बीमारियों पर बेअसर हो रही हैं एंटी-बायोटिक दवाइयां.

मामूली बुखार, सर्दी-जुखाम में न लें दवाई, एंटी-बायोटिक दवाओं पर ICMR की नई गाइडलाइंस

Monday November 28, 2022 , 4 min Read

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने एंटी-बायोटिक दवाओं के इस्‍तेमाल को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. ICMR ने कहा है कि हल्के बुखार या वायरल ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल न किया जाए. साथ ही ICMR ने डॉक्‍टरों को निर्देश दिया है कि साधारण बुखार की स्थिति में एंटी-बायोटिक दवाएं प्रिस्‍क्राइब न करें.

यह गाइडलाइंस “ट्रीटमेंट गाइडलाइंस फॉर एंटीमाइक्रोबियल यूज इन कॉमन सिंड्रोम” 2017 में बनाए गए नेशनल एक्शन प्लान फॉर एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस का ही संशोधित रूप है. पहली गाइडलाइंस कुछ नए सुझावों और बदलावों के साथ 2019 में दोबारा जारी की गई थी, जिसमें बोन और ज्वाइंट इंफेक्शन (हड्डियों और जोड़ों में होने वाला इंफेक्‍शन), स्किन, सॉफ्ट टिशू और सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़े इंफेक्शन के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए थे.

ICMR के नई गाइडलाइंस के मुता‍बिक त्वचा और शरीर के नाजुक ऊतकों में संक्रमण होने पर, गंभीर वायरल बुखार में, निमोनिया में और गंभीर वायरस इंफेक्‍शन की स्थिति में ही एंटी-बायोटिक दवाओं का इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए. ऊतकों में संक्रमण की स्थिति में पांच दिन, समुदाय के संपर्क हुए निमोनिया पांच दिन और अस्पताल में हुए निमोनिया में आठ दिनों तक एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग किया जाना चाहिए.

पूरी दुनिया में बेअसर हो रही हैं एंटी-बायोटिक दवाएं  

पूरी दुनिया में मेडिकल साइंस के लिए बेअसर हो रही एंटी-बायोटिक दवाइयां पिछले एक दशक में एक बड़ी चुनौती की तरह उभरी हैं. जिन दवाओं की खोज मेडिसिन के लिए एक बड़ी क्रांति थी और जो शरीर में होने वाले विभिन्‍न प्रकार के रोगाणु और जीवाणु (वायरस और बैक्‍टीरिया) जनित रोगों के खिलाफ एक क्रांतिकारी खोज थी, वह दवाएं अब बेअसर हो रही हैं.

नेशनल लाइब्रेरी और मेडिसिन में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक शरीर में संक्रमण पैदा करने वाले वायरस का एंटी-बायोटिक प्रोन होता जाना डॉक्‍टरों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है. बहुत सारे शोध अब इस बात को समझने के लिए किए जा रहे हैं कि यह हुआ कैसे.

मेडिसिन की दुनिया में हुई गूढ़ रिसर्च को अगर सामान्‍य जन की भाषा में कहें तो इसका सबसे बड़ा कारण एंटी-बायोटिक दवाओं का अतिशय इस्‍तेमाल है. हमने अपने शरीर में इतनी ज्‍यादा दवाएं डाली हैं कि अब उन दवाओं ने भी शरीर पर असर करना बंद कर दिया है.

जिन एंटी-बायोटिक दवाओं का इस्‍तेमाल सिर्फ गंभीर वायरस इंफेक्‍शन की स्थिति में होना चाहिए था, डॉक्‍टर सामान्‍य बुखार, सर्दी-जुखाम, थ्रोट इंफेक्‍शन आदि के लिए भी बड़ी मात्रा में वो दवाएं प्रिस्‍क्राइब करने लगे. बहुत बार लोग बिना डॉक्‍टरी सलाह के खुद ब खुद थोड़ा भी बुखार या इंफेक्‍शन होने पर दवाइयां ले लेते हैं.

ICMR ने अपनी नई गाइडलाइंस में बिना डॉक्‍टरी सलाह के अपने आप एंटी-बायोटिक लेने के खिलाफ भी चेतावनी दी है. ICMR का कहना है कि बिना आवश्‍यकता के एंटी-बायोटिक दवाओं का इस्‍तेमाल लंबे समय में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है.  

 

ICMR के आंकड़ों के मुताबिक हर साल गंभीर वायरस और बैक्‍टीरिया जनित इंफेक्शंस के तकरीबन 20 लाख मामले आते हैं, जिसमें से 23,000 लोगों की मौत हो जाती है. इसमें से बहुत सारी मौतें एंटी-बायोटिक दवाओं के इस्‍तेमाल के बाद भी होती है. जिसका सीधा सा अर्थ ये हुआ कि एंटी-बायोटिक दवाइयां संबंधित बैक्‍टीरिया पर पूरी तरह बेअसर होती हैं.  

ICMR के मुताबिक कोविड-19 महामारी के बाद ऐसे मामलों की संख्‍या में इजाफा हुआ है, जहां गंभीर इंफेक्‍शन की स्थिति में एंटी-बायोटिक और एंटी-फंगल दवाइयां पूरी तरह बेअसर हो रही हैं. कोविड के दौरान लोगों ने भारी मात्रा में एंटी-बायोटिक दवाइयों का प्रयोग किया है और 70 फीसदी बार तो तब किया है, जब वास्‍तव में शरीर को उसकी कोई आवश्‍यकता नहीं थी.  

ICMR की एक और स्टडी यह बताती है कि 2021 में आईसीयू में न्यूमोनिया के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली एंटी-बायोटिक दवा कार्बापेनेम्स (carbapenems) अब लोगों पर असर नहीं कर रही. ऐसे मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जहां यह दवा बेअसर होती जा रही है.

इसे देखते हुए एंटी-बायोटिक दवाओं को लेकर गाइडलाइंस बनाना जरूरी था. हालांकि यह दिशा-निर्देश तो पहले भी दिए जा चुके हैं, लेकिन वास्‍तविक बदलाव तभी आ सकता है, जब लोग इन निर्देशों को गंभीरता से लें और हर छोटी-मोटी बीमारी, बुखार, सर्दी-जुखाम और इंफेक्‍शन की स्थिति में तुरंत दवा न खाएं.


Edited by Manisha Pandey