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वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 में क्या है? हाथियों के स्वामित्व पर क्यों है आपत्ति?

राज्यसभा ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. लोकसभा ने इसे मानसून सत्र के दौरान अगस्त महीने में ही मंजूरी दे दी थी. वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 पर एक संसदीय समिति ने भी विचार किया था.

वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 में क्या है? हाथियों के स्वामित्व पर क्यों है आपत्ति?

Friday December 09, 2022 , 3 min Read

संसद ने बृहस्पतिवार को वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी, जिसमें संरक्षित क्षेत्रों के बेहतर प्रबंधन पर जोर दिया गया है. इसके साथ ही विधेयक में संरक्षित क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों को विभिन्न गतिविधियों के लिए अनुमति देने के प्रावधान किए गए हैं.

राज्यसभा ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. लोकसभा ने इसे मानसून सत्र के दौरान अगस्त महीने में ही मंजूरी दे दी थी. वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 पर एक संसदीय समिति ने भी विचार किया था.

विधेयक में उन अनुसूचियों को युक्तिसंगत बनाने पर भी जोर दिया गया है जिनमें वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत प्रजातियों को सूचीबद्ध किया गया है.

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, वन्य जीव (संरक्षण) कानून, 1972, देश की पारिस्थितिकीय एवं पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित करने की दृष्टि से जंगली जानवरों, पक्षियों और पौधों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए तैयार किया गया था.

विधेयक में क्या प्रावधान किए गए हैं:

  • संरक्षित क्षेत्रों के बेहतर प्रबंधन के जरिए वन्यजीवों के संरक्षण और सुरक्षा पर जोर
  • वन्यजीवों के "संरक्षण" और "प्रबंधन" जैसे पहलुओं को भी शामिल करने और संरक्षित क्षेत्रों के बेहतर प्रबंधन के लिए संशोधन का प्रावधान
  • केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित शर्तों के तहत स्वामित्व प्रमाण पत्र रखने वाले व्यक्ति द्वारा जीवित हाथियों के परिवहन के लिए अनुमति
  • जंगली जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नियमन के लिए मुख्य कानून में एक नया अध्याय
  • वन्यजीवों के लिए राज्य बोर्डों को स्थायी समितियों के गठन के लिए अनुमति का प्रावधान
  • भारत वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से जुड़ी एक संधि का एक पक्ष है और इसलिए जरूरी है कि संधि के प्रावधानों को लागू करने के लिए उचित कदम उठाए जाएं.

हाथियों के स्वामित्व का विरोध

पशु अधिकार संगठन पेटा इंडिया ने राज्यसभा के सदस्यों से वन्य जीवन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022 में प्रावधानों को शामिल करने का आग्रह किया है जो 'स्वामित्व' और हाथियों को व्यक्तियों या धार्मिक संस्थानों में स्थानांतरित करने पर रोक लगाता है.

हाथी एकमात्र ऐसे जंगली जानवर हैं, जिन्हें भारत में व्यक्तियों द्वारा पाला जा सकता है. पेटा ने कहा कि वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022 की धारा 43 (1) हाथियों जैसे बंदी जानवरों की बिक्री पर रोक लगाती है, लेकिन उनका व्यापार अभी भी 'उपहार' या 'दान' के रूप में जारी है.

विधेयक पर अध्ययन करने वाली कांग्रेस नेता जयराम रमेश की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने हाथियों की बिक्री और खरीद को प्रोत्साहित नहीं किये जाने पर जोर दिया है. समिति ने परंपराओं और संरक्षण के बीच संतुलन की बात कही है.

रिपोर्टों के अनुसार, भारत में कुल 2,675 बंदी हाथी हैं, और उनमें से अधिकांश पूर्वोत्तर और दक्षिणी राज्यों में हैं. अब तक, राज्यों द्वारा हाथियों के लिए कुल 1,251 स्वामित्व प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं.


Edited by Vishal Jaiswal